
जिन घरों में नवरात्रि पर कलश स्थापना (घटस्थापना) होती है। उनके लिए शुभ मुहूर्त 18 मार्च को प्रात: 07.35 मिनट से लेकर 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस दौरान घटस्थापना करना सबसे अच्छा होगा। पं देवप्रसाद उपाध्यय ने बताया कि बसंत नवरात्रि में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। नवरात्रि के दिन से हिन्दू नव वर्ष प्रारम्भ होता है। इस दिन रविवार है। साथ ही सर्वार्थ सिद्ध योग ? भी बन रहा है। इस दिन जो वार होता उसी का स्वामी वर्ष का राजा होता है। अत: इस वर्ष राजा सूर्य है। वैसे नवरात्र के प्रारंभ से ही अच्छा वक्त शुरू हो जाता है। इसलिए अगर जातक शुभ मुहूर्त में घट स्थापना नहीं कर पाता है, तो वो पूरे दिन किसी भी वक्त कलश स्थापित कर सकता है। उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। नवरात्रि पूजन से घर में सुख समृद्धि का निवास होता है।
कलश स्थापना व पूजा विधि
हिन्दू शास्त्रों में किसी भी पूजन से पूर्व गणेशजी की आराधना का प्रावधान बताया गया है। माता की पूजा में कलश से संबन्धित एक मान्यता के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का प्रतिरुप माना गया है। इसलिए सबसे पहले कलश का पूजन किया जाता है। कलश स्थापना करने से पहले पूजा स्थान को गंगा जल से शुद्ध किया जाना चाहिए। पूजा में सभी देवताओं आमंत्रित किया जाता है।
होगा श्रृंगार
कलश में हल्दी के गांठ, सुपारी और मुद्रा रखी जाती है। पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। इस कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर कर जौ बौया जाते हैं। जौ बोने की इस विधि द्वारा अन्नपूर्णा देवी का पूजन किया जाता है। माता दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल के मध्य में स्थापित कर रोली, चावल, सिंदूर, चुनरी, साड़ी, आभूषण और सुहाग से माता का श्रृंगार करना चाहिए।
आज शैलपुत्री की पूजा
कलश स्थापना के बाद गणेश जी और मां दुर्गा की आरती से नौ दिनों का व्रत प्रारंभ किया जाता है। कलश स्थापना के दिन ही नवरात्रि की पहली दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। इस दिन सभी भक्त उपवास रखते हैं और सायंकाल में दुर्गा मां का पाठ और विधिपूर्वक पूजा करके अपना व्रत खोलते हैं। इसके लिए शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में विशेष तैयारी की जा चुकी है।
Updated on:
18 Mar 2018 11:45 am
Published on:
18 Mar 2018 10:57 am
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