कवर्धा

शासन-प्रशासन के जिम्मेदारों की अनदेखी का नतीजा, खेती के लिए पेड़ों की दे रहे बलि…

CG News: कवर्धा जिले के विकासखण्ड पंडरिया क्षेत्र में वन अधिकार पट्टा नीति को लेकर वन भूमि में अवैध कब्जा का खेल वर्षों से चल रहा है जो निरंतर जारी है।

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May 24, 2025
शासन-प्रशासन के जिम्मेदारों की अनदेखी का नतीजा(फोटो-पत्रिका)

CG News: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के विकासखण्ड पंडरिया क्षेत्र में वन अधिकार पट्टा नीति को लेकर वन भूमि में अवैध कब्जा का खेल वर्षों से चल रहा है जो निरंतर जारी है। वितरण किए वनपट्टा के वनभूमि का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया। इसके चलते आवंटित भूमि के आसपास कई एकड़ वनभूमि पर कब्जा किया जा चुका है।

वन अधिकार पट्टा के नाम पर हो रही वन भूमि में अवैध कब्जे को लेकर शासन-प्रशासन से शिकवा शिकायत हो चुकी है लेकिन जिम्मेदारों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। नतीजन आज वन अधिकार पट्टा के नाम पर जिले की सैकड़ों एकड़ वनभूमि पर स्थानीय और बाहरी लोग कब्जा जमाकर बैठे हैं। अभी पता चल रहा है कि वन परिक्षेत्र पूर्व पंडरिया के कक्ष क्रमांक 519, 520, 521 और 523 में अवैध कब्जाधारियों की गिद्ध नजर गड़ी हुई है और वे इस वनभूमि में अवैध कब्जा करने में जुटे हुए हैं।

CG News: यहां पर चल रहा बड़े पैमाने पर खेल

वनभूमि में अवैध कब्जा करने वाले कब्जाधारी शासन की वन अधिकार पट्टा योजना के निर्धारित मापदण्ड के विपरीत है। इन लोगों के पास पहले से ही कई-कई एकड़ राजस्व भूमि है बावजूद वे वनभूमि में अवैध कब्जा करने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। पंडरिया पूर्व परिक्षेत्र के तहत नरसिंहपुर सर्किल में स्थित कुल्हीडोंगरी से लेकर बदौरा के बीच फैले और वन विकास निगम के अधीन आने वाले विशाल वन क्षेत्र का पूरा नक्शा बदल चुका है।

कोदवा से पंडरिया जाने वाली सड़क के दोनों ओर कुछ ही वर्षों में विभागीय नजरंदाजी के चलते आज दूर-दूर तक सिर्फ खेत दिखाई देते हैं। विडंबना तो ये है कि इस इलाके में पट्टे पर दी गई वनभूमि का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया जा रहा है इसके चलते तीन एकड़ का पट्टा लेकर लोग तेरह एकड़ में कब्जा किए बैठे हैं। इसी तरह की कहानी कोदवा सर्किल के तहत नागाडबरा, भडगा और माठपुर के जंगलों की भी है।

वीरान गांव, अब आबाद

वन अधिकार पट्टे के नाम पर इस अंचल में सर्वाधिक वन विनाश कर वनभूमि पर अपात्रों द्वारा अवैध कब्जे के लिए कुख्यात हो चुके नागाडबरा और जामुनपानी दो ऐसे स्थान हैं जो कुछ वर्ष पहले सरकारी दस्तावेजों में वीरान गांव के रूप में दर्ज थे। यहां पर सैकडों एकड़ में फैले सागौन जंगलों को काट कर आबाद हो गए।

Published on:
24 May 2025 12:17 pm
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