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स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय का नहीं हो रहा उपयोग

शासकिय जमीन पर शौचालय निर्माण कर हितग्राही बेजा कब्जा कर जमीन हथियाने की फिराक में है। यह अंदाजा गैंदपुर में बने शौचालय को देख कर लगाया जा सकता है।

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कवर्धा. जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां अधिकांश ग्रामीण हितग्राही शासकिय भूमी पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय तो बनवा लिए है, लेकिन इसका उपयोग करते नजर नहीं आ रहा है।
शौचालय बनाने के बाद हितग्राही नियमित उपयोग तो दुर की बात है। शौचालय को झांकने तक नहीं जा रहे हैं। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि शासकिय जमीन पर शौचालय निर्माण कर हितग्राही बेजा कब्जा कर जमीन हथियाने की फिराक में है। यह अंदाजा गैंदपुर में बने शौचालय को देख कर लगाया जा सकता है। पत्रिका संवाददाता ग्राऊंड रिपोर्ट में ग्राम गैंदपुर पहुंचे तो गांव में शौचालय तो बने हैं, लेकिन अधिकांश शौचालय घर से दुर शासकिय जमीन पर बना है, जहां लोग अब घेरा बंद करने में जुटे हैं। कुछ शौचालय का उपयोग शुरु नहीं हुआ है, जिसके दरवाजे गायब हो चुके हैं। किसी का सीट बाहर पर पड़े हैं। सहसपुर लोहारा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गैंदपुर की बसाहट है, जिसकी आबादी 1700 के करीब है। वहीं गांव में स्वच्छ भारत मिशन तहत कुल 244 शौचालय का निर्माण किया गया। हालांकि शौचालय निर्माण के दौरान तरह तरह की बातें सामने आई। इसके बाद भी शत् प्रतिशत निर्माण कराया गया। इसके चलते लोहारा ब्लाक को 15 अगस्त 2016 को शौच मुक्त घोषित किया गया। इसके बाद भी पंचायत स्तर पर लोगों में जागरुकता की कमी के कारण शौचालय निर्माण के बाद भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। वहीं इस संबंध में जब पंचायत सचिव से बात करना चाहा, लेकिन बात नहीं हो पाई। मोबाईल पर घंटी जाने के बाद भी कॉल रीशिप नहीं किया।

शौचालय का उपयोग नहीं
शौचालय बनने के बाद उपयोग नहीं करने से योजना के तहत बना शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहा है। उपयोग नहीं करने व देखरेख के अभाव में शौचालय के सीट पर पत्थर डाल दिया गया है। इससे सीट पूरी तरह जाम हो चुका है। वहीं घर से दूर होने के चलते शौचालय के टीन शेड, दरवाजा गायब हो रहा है।

50 फीसदी शौचालय घर से दूर
स्वच्छ भारत मिशन तहत ग्राम में निर्मित लगभग 50 फिसदी शौचालय घर से दुर या शासकिय भूमि पर बनाया गया है, जिसमें नियमित उपयोग तो दुर की बात है। झांकने तक नहीं पहुुंच रहे हैं। इसके चलते शौचालय तक पहुंचने वाली रास्ता ही बंद हो चुका है। गांव में बनाए गए शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहा है। अब तो स्थिति यहां तक निर्मित हो गई है कि शौचालय के आसपास भूमि पर समय के साथ लोग घेराबंदी कर बेजा करने का अनोखा तरीका निकाला है। इस तरह गांव में शौचालय शासकीय भूमि पर कब्जा हथियाने का जरिया बन गया है।

जुर्माना का फरमान नहीं आया काम
खुले में शौच रोकने के लिए ग्राम में सभा कर निगरानी के लिए बकायदा नौ सदस्य की टीम गठित भी की गई। गांव के गली व चौक चौराहे पर दिवाल लेखन कर पंचायत ने खुले में शौच करने पर जुर्माना का फरमान भी जारी किया गया था। इसके बाद व्यवस्था नहीं सुधार पाई। एक तो शौचालय का उपयोग नहीं हो रहा है। वहीं खुले में शौच करने के कारण गांव गंदगी फैली हुई है। सड़क किनारे शौच के कारण बदबू से लोगों को परेशानी हो रही है।