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मां गंगई मंदिर की परंपरा, तृतीया को शुभ मुहूर्त पर ज्योति प्रज्ज्वलित

देवी सुरेश्वरी भगवति गंगे, त्रिभुवन तारिणि तरल तरंगे।।शंकर मौलिविहारिणि विमले मम मति रास्तां तव पद् कमले।। नवरात्र को माता की आराधना का महापर्व के रूप में मनाया जाता है। नवरात्र में श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति के लिए देवी मंदिरों में ज्योति प्रज्ज्वलित कराते हैं।

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मां गंगई मंदिर की परंपरा, तृतीया को शुभ मुहूर्त पर ज्योति प्रज्ज्वलित

मां गंगई मंदिर की परंपरा, तृतीया को शुभ मुहूर्त पर ज्योति प्रज्ज्वलित

कवर्धा
कवर्धा शहर में अलग-अलग सिद्धपीठ देवी मंदिरों में हजारों मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित हो रही है। इसमें से एक देवी सिद्ध पीठ मंदिर है मां गंगई की।
मां गंगई मंदिर में एकम तिथि को नहीं, बल्कि तृतीया तिथि से ज्योति प्रज्ज्वलित कराने की परंपरा चली आ रही है। कवर्धा प्राचीन काल से ही शासकों का गढ़ रहा है। अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में शासकों ने अपने ईष्ट देवी व देवताओं के देवालयों की स्थापना की। माता गंगई का मंदिर उन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है। नवरात्र के दोनों पक्षों में यहां पर ज्योति कलशों की स्थापना की जाती है। देवी मंदिरों में नवरात्रि के प्रथम तिथि को ही शुभ मुहूर्त पर मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित कराया जा चुका है, लेकिन मां गंगई मंदिर में आज यानि तृतीया तिथि को मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित होगी। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मंदिर के सेवक भवगती शंकर गुप्ता ने बताया कि गंगई मंदिर में तीज की परंपरा इसलिए चली आ रही है क्योंकि गण-गौरी तीज को मनाया जाता है और गंगा मईया की उत्पत्ती भी तृतीया तिथि को ही हुई है। इसलिए गंगई मंदिर में तृतीया तिथि से नवरात्र मनाने की परंपरा चली आ रही है। चैत्र और क्वांर दोनों नवरात्रि में तृतीया तिथि से दशमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह परंपरा १९४९ से चली आ रही है। मान्यता है कि मां गंगई कवर्धा में प्रकट हुई थी और गंडई (लोहारा) में विश्राम कर रही थी। इसीलिए माता गंगई के मंदिर का निर्माण गंडई में ही किया गया। इसके बाद प्रार्थना कर कवर्धा लगाया गया। तब से यहां मां गंगई विराजमान हैं।

एक किवदंती यह भी...
एक अन्य किवदंती के अनुसार जब ग्राम के किसान खेतों में गंडई कीड़े के प्रकोप से परेशान थे, तब उन्होंने माता मन्दिर में प्रार्थना कर, मन्दिर के जल का खेतों में छिड़काव किया और उस कीट के प्रकोप से मुक्ति पाई। तब से क्षेत्र के सभी किसान खेतों में फसल की बुवाई माता की पूजा अर्चना के बाद करते हैं। सहसपुर लोहारा में मन्दिर के पास ही बावली है, जो प्राचीन वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। नवरात्र में माता देवालय में स्थापित कलशों का विसर्जन इसी बावली में किया जाता है। यह मंदिर आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र है।
109 ज्योति कशल प्रज्ज्वलित होंगे
चैत्र नवरात्र के प्रथम तिथि यानि शनिवार को देवी मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ देवी आह्वान, घट स्थापना और पूजन किया गया। घट स्थापना और देवी के लिए प्रथम ज्योति जिसे माई ज्योति कहते हैं, जिसे श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त पर प्रज्ज्वलित किया गया। वहीं गंगई मंदिर में तृतीया तिथि यानि आज 109 मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित होंगे, जिसमें 8 ज्योति घी व 101 तेल का ज्योति कशल प्रज्ज्वलित किया जाएगा। इसकी तैयारी मंदिर समिति द्वारा पूर्ण कर लिया है।