
नगरीय क्षेत्र के मार्गों पर उड़ रही धूल, राहगीर परेशान
शहर की वायु गुणवत्ता 45 किमी दूर सिंगाजी से परख रहे अफसर, डॉक्टर बोले- धूल के गुबार से अस्पतालों में बढ़ रहे अस्थमा एलर्जी के मरीज, शहर में खंडवा की सांसें भारी, हर ओर धूल के गुबार से जीना मुहाल
हमारे शहर की आबोहवा की गुणवत्ता खराब है। हमारी हर सांसों में अशुद्ध हवा प्रवेश कर रही है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एयर क्वालिटी इंडेक्स ( एक्यूआई ) की रिपोर्ट खुद ब खुद बता रही है। इसका ताजा उदाहरण है कि एक दिन पहले स्वच्छ वायु रैंकिंग-2025 की फेहरिस्त से भी बाहर हैं। निगम कार्यालय के बाहर लगी स्क्रीन पर डिस्प्ले हो रही इंडेक्स रिपोर्ट भी वायु में प्रदूषण बता रही है। बोर्ड पर एक्यूआई 74 है। जबकि 50 या इससे कम के एक्यूआई का मापदंड अच्छी वायु की श्रेणी में आता है। लेकिन अपने शहर का एक्यूआई पिछले कई दिनों से 70 से 80 के बीच बना हुआ हैै। वायु में प्रदूषण होने से अस्पताल में भी अस्थमा, सर्दी, खासी, एलर्जी के मरीजों की संया बढ़ रही है।
दिलचस्प बात यह कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए निगम के पास कोई जतन नहीं है। न तो शहर के मुय मार्गों पर पानी स्प्रे मशीन है। और न ही अन्य उपकरण हैं। इस दिशा में कोई कार्य तक नहीं हो रहा है। सिंगाजी थर्मल पावर ने निगम के बाहर एयर क्वालिटी इंडेक्स बोर्ड लगाया है। वह भी इन दिनों खराब है। शहर का प्रदूषण मापक यंत्र कलेक्टर कार्यालय परिसर में लगा है। कई माह से खराब पड़ा है। वर्तमान समय में यहां के वायु की गुणवत्ता सिंगाजी से परखी जा रही है।
सामान्य जीवन के लिए वायु प्रदूषण के खतरे का पैमाना वायु गुणवत्ता सूचकांक एयर क्वालिटी इंडेक्स ( एक्यूआई ) है। जो 0 से 500 तक होता है। मापदंड के अनुसार 0-50 तक अच्छा होता है। 51-100 मध्यम, 101-150 संवेदनशील समूहों की श्रेणी में आते हैं। 301 प्लस एक्यूआई खतरनाक की श्रेणी में हैं।
शहर में मुख्य मार्गों पर चहुंओर धूल का गुबार उठ रहा है। बाबे बाजार से निगम तिराहा तक। शेर चौराहा, इंदौर नाका तक। इन मार्गों पर सुबह से शाम तक छोटे वाहनों के चलने मात्र से धूल उड़ रही है। इस धूल के गुबार से राहगीर, दुकानदार परेशान हैं।
एक्सपर्ट-व्यू : डॉ पंकज श्रीवास्तव, मेडिकल कॉलेज
2.5 माइक्रो मीटर से कम व्यास वाले सूक्ष्म कण सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। ऐसे प्रदूषक कण जो फेफड़ों और हृदय पर प्रभाव डालते हैं। धूल के गुबार से खांसी, एलर्जी, सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा के मरीजों को परेशान करती है। धूल, धूल के गुबार से एलर्जी, स्किन आदि के मरीजों की संख्या बढ़ी है। बचाव के लिए मुंह बांधें, मास्क लगाएं। दो पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट का उपयोग करें।
इनका कहना : प्रियंका सिंह राजावत, निगम आयुक्त
शहर में मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया है। मुय मार्गों के आस-पास भी पौधे लगाए गए है। डिवाइडर की धूल-मिट्टी की नियमित सफाई होती है। अभी बारिश के कारण प्रभावित है। मुय मार्गों के आस-पास पेवर ब्लाक लगाने की तैयारी है। एक्यूआई की रिपोर्ट हर रोज अपडेट होती है। मापक यंत्र कलेक्टर कार्यालय परिसर में लगा हुआ है। दो दिन से तकनीकी कारण बंद है।
Published on:
11 Sept 2025 12:00 pm
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