27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मप्र में भाजपा-कांग्रेस ने बदले मुखिया तो निमाड़ की राजनीतिक हैसियत पर पड़ा ये असर

मप्र में दस दिनों के भीतर दोनों पार्टियों ने बड़ा बदलाव किया है। पहले भाजपा और अब कांग्रेस की तरफ से ये बदलाव सामने आया है।

3 min read
Google source verification

खंडवा

image

Amit Jaiswal

Apr 26, 2018

nanad kumar and arun yadav

arun yadav and nandkumar singh chouhan latest news

खंडवा. विधानसभा चुनाव-2018 और लोकसभा चुनाव-2019 की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दल बड़े फेरबदल कर रहे हैं। दस दिन में पहले भाजपा और फिर कांग्रेस द्वारा प्रदेशाध्यक्ष बदल दिए गए हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभाव निमाड़ की राजनीतिक हैसियत पर पड़ा है।

भारतीय जनता पार्टी ने नंदकुमारसिंह चौहान की जगह जबलपुर से सांसद राकेश सिंह को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद की कमान सौंपी तो अब कांग्रेस ने अरुण यादव के स्थान पर छिंदवाड़ा से सांसद कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है। मप्र की राजनीति में दोनों ही बड़ी पार्टियों द्वारा किए गए इस फेरबदल का सबसे ज्यादा प्रभाव निमाड़ पर पड़ा है, क्योंकि नंदकुमारसिंह चौहान और अरुण यादव दोनों ही निमाड़ से ताल्लुक रखते हैं। अब तक प्रदेश की राजनीति में दोनों ही पार्टियों के मुखिया निमाड़ से थे लेकिन परिवर्तन के इस दौर में निमाड़ के हाथ लगभग रीते से हो गए हैं।

आप के प्रदेश संयोजक अब-भी निमाड़ से
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल हैं। वे निमाड़ की राजनीति से ताल्लुकात रखते हैं। यहां से वे चुनाव भी लड़ चुके हैं। इससे पहले विस्थापन की लड़ाई उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले निमाड़ से ही लड़ी है।

नंदकुमारसिंह के बारे में जानिए...
- नंदकुमारसिंह चौहान १६वीं लोक सभा के सदस्य (सांसद) हैं।
- 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में खंडवा संसदीय क्षेत्र से जीत दर्ज की थी।
- कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव को हराकर वे लोकसभा पहुंचे।
- 2014 के बाद भाजपा ने उन्हें मप्र में पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाया।
- 17 अप्रैल 2018 को नंदकुमारसिंह चौहान ने पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया।
- 1978-80 और 1983-87 तक वे शाहपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे।
- 1985-96 तक मप्र विधानसभा के सदस्य (विधायक) रहे
- 1996 में 11वीं लोकसभा में (सांसद) चुने गए
- 1996-97 तक स्टैंडिंग कमेटी ऑफ कॉमर्स मेंबर रहे
- 1998 में 12वीं लोकसभा में (सांसद) चुने गए, दूसरी बार संसद पहुंचे
- 1998-99 स्टैंडिंग कमेटी एग्रीकल्चर मेंबर रहे
- 1999 में 13वीं लोकसभा में (सांसद) चुने गए, तीसरी बार संसद पहुंचे
- 1999-2000 स्टैंडिंग कमेटी ऑफ कॉमर्स मेंबर रहे
- 2004 में 14वीं लोकसभा में (सांसद) चुने गए, चौथी बार संसद पहुंचे
- 2014 में 16वीं लोकसभा में (सांसद) चुने गए, पांचवीं बार संसद पहुंचे
- 2014 में कमेटी ऑफ पब्लिक अंडरटेकिंग्स के मेंबर सहित अन्य जिम्मेदारी
- 18 अप्रैल 2018 से भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य मनोनीत

अरुण यादव के बारे में जानिए...
- अरुण यादव 14वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य (सांसद) रहे।
- 13 जनवरी 2014 को वे मप्र में कांग्रेस के अध्यक्ष मनोनीत किए गए।
- उनके पिता सुभाष यादव मप्र के उपमुख्यमंत्री सहित अन्य पदों पर रहे थे।
- 2007-2009 तक वे 14वीं लोकसभा सदस्य (सांसद) रहे
- 2008-2009 तक वे मेंबर ऑफ पब्लिक अकाउंटस रहे
- 2009-2014 तक वे 15वीं लोकसभा सदस्य (सांसद) रहे, दूसरी बार।
- 2009-2011 तक यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट, हेवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटरप्राइजेस रहे
- 2011 में वे यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट, एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज रहे

अब कम आंकी जाएंगी निमाड़ की राजनीति
प्रदेश में अब तक दोनों ही बड़ी राजनीतिक पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष निमाड़ से थे, इसलिए पूरे प्रदेश की निगाहें यहां टिकीं रहती थी। भाजपा के नंदकुमारसिंह चौहान से लेकर कांग्रेस के अरुण यादव तक पर प्रदेश के नेता नजरें लगाए रहते थे लेकिन अब भाजपा में जहां जबलपुर के राकेश सिंह पर नजरें होंगी तो वहीं कांग्रेसी भी छिंदवाड़ा के कमलनाथ से नाता जोडऩे व उससे पक्का करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

समर्थकों में मायूसी, विरोधी गुट खुश
भाजपा से नंदकुमारसिंह चौहान और कांग्रेस से अरुण यादव की पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद से छुट्टी होने के बाद जहां इनके समर्थकों में मायूसी है तो वहीं इनके विरोधी गुट खुश हैं। नंदकुमारसिंह चौहान के प्रदेशाध्यक्ष पद से हटने पर तो खंडवा में आतिशबाजी तक हुई थी। यही स्थिति अरुण यादव के मामले में भी है।