छनेरा के मुख्य बाजार में उनका खुद का सैलून है. संतोष सेन का जीवन सामान्य सा चल रहा था पर एक घटना ने उन्हें पूरी तरह बदल दिया. वे बताते हैं कि एक दिन उन्हें अपनी दुकान के बाहर अपने मां-पिता के साथ एक लड़की खड़ी दिखाई दी जिसके बाल बेतरतीब से थे. अच्छे चेहरे-मोहरे की वह बच्ची ऐसे बालों के कारण अच्छी नहीं दिख रही थी. संतोष ने तुरंत उन्हें अपने सेलून पर बुलाया और बच्ची के बाल काटकर संवार दिए. जब उस बच्ची ने आइने में खुद को निहारा तो सुंदर दिखने से वह बहुत खुश हो गई. उसकी खुशी में संतोष को न केवल आत्मसंतुष्टि मिली बल्कि उसी दिन से उन्होंने ऐसे बच्चियों की हेयर कटिंग कर उन्हें खूबसूरत बनाने का संकल्प ले लिया.
वे अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद रोज समय निकालकर गांवों में जाते हैं. वहां गरीब बच्चियों के बाल काटकर उन्हें संवारते हैं. बच्चियों को रोगमुक्त रहने के भी टिप्स देते हैं. गांवों में मजदूरी करने वाले, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले परिवारों की छोटी बच्चियांं के बाल काट देते हैं. अब तो कई जगहों पर उनके इस नेक काम के लिए उनका स्वागत भी किया जाने लगा है. वे बताते है कि ऐसे लोग उन्हें पैसे तो नहीं दे सकते पर खूब दुआएं देते हैं. ये इतने गरीब होते हैं बच्चियों की नियमित कटिंग कराने के लिए पैसे नहीं होने से 1 रुपए की ब्लेड लाकर उन्हें गंजा ही कर देते हैं.
संतोष सेन बच्चों को अपनी मोटरसाइकिल पर ही बैठा कर उनकी हेयर कटिंग कर देते हैं। अभी तक वे करीब ढाई सौ ऐसी बच्चियों के बाल काटकर उनका चेहरे संवार चुके हैं. उनका यह भी कहना है कि लड़कियों के बाल की नियमित सफाई नहीं होने की वजह से अक्सर उनके बालों में जूं पड जाती है और डैंड्रफ भी हो जाता है. इससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है.