
CHILDLINE India Foundation
लावारिस बच्चों की मदद के लिए सार्वजनिक स्थानों पर तैनात वॉलेंटियर गायब हो गए हैं। केंद्र सरकार ने जून 2023 में बच्चों की देखभाल न करने, मिशनरीज व संदिग्ध संगठनों से संपर्क और 200 जिलों में पहुंच न होने पर चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआइएफ) से मदद का काम छीना तो सीआइएफ ने वॉलेंटियर हटा लिए हैं। तब से महिला एवं बाल विकास विभाग पर मदद का जिम्मा आ गया। केंद्र ने नई हेल्पलाइन 112 लॉन्च की। पूरे देश में बच्चों की मदद का जिम्मा हाथ में लिया। इसके तहत कमांड कार्यालय व जिलों में स्टाफ की व्यवस्था होनी थी, पर प्रदेश के कहीं ऐसा नहीं हो सका। शासकीय कर्मी पुरानी संस्थाओं के जरिए मदद का प्रयास कर रहे हैं। अब ये संस्थाएं भी मदद से मुंह मोड़ रही हैं।
दरअसल, चाइल्ड हेल्प लाइन सबसे ज्यादा रेलवे स्टेशन से बच्चों को बरामद कर उनके परिजन को सौंपती थी, लेकिन सार्वजनिक स्थानों से हेल्प डेस्क बंद होने से बच्चों की बरामदगी कम हो गई है। उन बच्चों की संया सर्वाधिक थी, जो अपने परिजन से नाराज होकर घर छोड़ देते थे। बड़ी संया में शामिल थे, जो किसी बहकावे या फिर सोशल मीडिया पर उकसावे में घर छोड़कर भाग जाते थे।
नई व्यवस्था में बड़वानी जिले में नियुक्ति प्रक्रिया पिछले माह शुरू हुई, पर विज्ञापन जारी होते ही आपप्ति आने लगी। एनसीपीआरसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) को बाल संरक्षण का काम देने को धर्मांतरण से जोड़कर आपत्ति उठाई। तब से जिलों में नियुक्ति प्रक्रिया रुक गई।
नियुक्ति प्रक्रिया के लिए विभाग की सहायक आयुक्त सूफिया फारूखी ने पिछले सप्ताह प्रदेश के सभी कलेक्टरों को इस संदर्भ संविदा के आधार पर नियुक्तियां करने के निर्देश जारी किए, लेकिन विस्तृत नियम और शर्तें नहीं जारी की गईं, जिसके चलते नियुक्ति की प्रक्रिया की शुरुआत ही नहीं हो पाई है।
नवजात को फेंकने, रेप पीडि़ताओं के बच्चे और अवयस्क मां के बच्चा रखने से इनकार की स्थिति में बच्चों को संभालने के लिए संस्थाएं तो काम कर रही हैं। लेकिन उनकी लीगल कस्टडी के लिए पेपर वर्क, सीडब्ल्यूसी के सामने पेश करने में समस्या आ रही है। कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे महिला बाल विकास पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई है।
सरकार ने एनजीओ से काम वापस ले लिया है। महिला बाल विकास को स्थानीय स्तर पर नियुक्ति करनी है। अभी सरकार से विस्तृत निर्देश नहीं मिले हैं। हम अपने कर्मियों की मदद से ही काम कर रहे हैं।
वीएस राठौर, डीपीएम, खंडवा
Published on:
23 Feb 2024 07:45 am
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