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घर की उम्मीद थीं बेटियां, परिजनों को न्याय की दरकार

बेटियों के शव देख गांव में पसरा मातम, पुलिस ने आश्रम की सुरक्षा में तैनात किया बल, अंतिम संस्कार में मौजूद रहे स्थानीय अधिकारी

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Daughters were the hope of the house, the family needed justice

Daughters were the hope of the house, the family needed justice

ओंकारेश्वर. बेटों की तरह ही अब बेटियां हर घर की उम्मीद होती हैं। जो चार बच्चियां काल के गाल में समा गई हैं उनके परिवार वालों ने भी बड़ी उम्मीद से चारों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए परम शक्ति पीठ ओंकारेश्वर में छोड़ा था। लेकिन किसी को क्या पता था कि बुधवार की सुबह उनकी मौत की खबर लेकर आएगी। इस हृदय विदारक घटना को जिसने सुना वह सन्न रह गया। खबर पाते ही पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। एक ओर जहां छात्राओं के शव नहर से निकाले जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बढ़ती भीड़ का गुस्सा देख आश्रम की सुरक्षा पर भी अफसरों को चिंता सता रही थी। किसी तरह रोते, बिलखते और आक्रोशित परिवार वालों को समझाया गया। न्का ढाढ़स बंधाया और निष्पक्ष जांच की बात की गई। अपनी बेटियों के मृत शरीर को उठाने वाले चारों परिवार दीगर जिले के थे। खरगोन और बड़वानी से आए यह परिवार मासूमों के शव लेकर अपने घर को चले गए लेकिन उनके मन का गुस्सा अभी बाकी है।
इन सवालों के जबाव चाहिए
- आश्रम में छात्राओं की देखरेख और सुरक्षा के लिए कौन जिम्मेदार है?
- छात्राओं को नहर में नहाने के लिए जाने से किसी ने रोका क्यों नहीं?
- क्या आश्रम के अंदर छात्राओं के नहाने की व्यवस्था नहीं है?
- आश्रम के बाहरी हिस्सों में नहर के आस पास सुरक्षा कर्मी क्यों नहीं थे?
- चार बच्चियों की मृत्यु के बाद आश्रम के संचालक सामने क्यों नहीं आ रहे?
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जल्द होनी चाहिए जांच पूरी
मृत छात्राओं के परिजनों की मांग है कि पुलिस अपनी जांच जल्द पूरी करे। अगर जरूरत पड़े तो राजपत्रित पुलिस अधिकारियों को इस जांच में लगाया जाए। जांच के बाद तय को कि आखिर किसकी लापरवाही से छात्राओं की मौत हुई?
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कौन लेगा जिम्मेदारी
मृतका दिव्यांशी सोलंकी के पिता चेतन कह रहे हैं कि उनकी बेटी पांच साल से आश्रम में रह रही थी। फोन पर तबीयत खराब होने की जानकारी मिली। कहा गया आप आ जाइए। जब पहुंचे तो बच्ची का शव पोस्टमार्टम के लिए रखा था। उनका आरोप है कि आश्रम वालों का गैर जिम्मेदार रवैया है। इस घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा? बकौल चेतन, उनके दो बेटियां और एक बेटा है। वह खुद खेती करतेे हैं।
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नहीं थम रहे परिवार के आंसू
बमनाला के समीप सोनवाड़ा की रहने वाली अंजना पिता रमेश के परिवार के आंसू नहीं थम रहे हैं। इस हृदय विदारक घटना से गांव में सनाका खिंचा है। अंजना गुरुकुलम में अपने बड़े पिता की बेटी के साथ पढ़ने के लिए गई थी। दोपहर बाद जब शव गांव पहुंचा तो भीड़ उमड़ पड़ी। परिवार वालों का कहना है कि घटना कैसे हुई और किसकी लापरवाही है इसका सच सामने आना चाहिए।
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दस दिन पहले ही छोड़कर आए
मृतका वैशाली के पिता नवल का कहना है कि 10 दिन पहले ही वह बेटी को आश्रम छोड़कर आए थे। अब उसकी मौत की खबर घर आई है। नवलसिंह ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। साथ ही परिवार की अनुपस्थित में पोस्टमार्टम होने पर नाराजगी जाहिर की। नवल कहते हैं कि एक साथ चार बच्चियों की मौत डूबने से कैसे हो गई? इसकी उच्च स्तर पर जांच होना चाहिए। पीडि़त परिवार ने न्याय की मांग की है।
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दाबड़ में छाया मातम
मृतका प्रतिज्ञा के पिता छमिया निवासी ग्राम दाबड़ ने कहा कि उन्हें बताया गया कि छोरियां नदी में कूद गई हैं। वहां पहुंचे तो पता चला कि चारों बच्चियाें की डूबने से मृत्यु हो गई। बकौल छमिया, प्रतिज्ञा से बड़ी उम्मीदें थीं। वह घर की बड़ी बेटी थी और उसे होनहार बनाने के लिए प्रयास कर रहे थे। अब निष्पक्ष जांच की मांग है ताकि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाही हो सके।
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मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा जिले में ओंकारेश्वर के पास ग्राम कोठी के निकट नहर में डूबने से चार छात्राओं की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान देने और परिवार को यह असीम दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।
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वर्जन...
सभी छात्राएं कक्षा प्रथम से विद्यालय में अध्ययनरत थीं।
- साध्वी साक्षी दीदी, संचालिका, परम शक्ति पीठ ओंकारेश्वर
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दुखद घटना है
ऋतंबरा आश्रम के छात्रावास में रहकर पांचवी कक्षा में अध्ययनरत बालिकाओं मृत्यु
दुखद है। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें। शोकाकुल परिवारों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
- अरूण यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री
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सुबह इस दुखद घटना की सूचना मिली। नियमों के तहत मृत छात्राओं के परिजनों को 4- 4 लाख रुपए देने का प्रावधान है। जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बालिकाओं के शव गृह ग्राम भेजने वाहन व्यवस्था करते हुए परिजनों को 10-10 हजार रुपए अंतिम संस्कार के लिए दिए हैं।
- अनूप कुमार सिंह, कलेक्टर, खंडवा