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पट्टों की उम्मीद में जंगल का सफाया, कब्जे के लिए पेड़ों की बली ले रहे अतिक्रमणकारी

जिले के गुड़ी वन परिक्षेत्र में पट्टे के लिए पेड़ों की बली ले रहे अतिक्रमणकारियों का आतंक अब ओर अधिक बढ़ गया है। उनके आगे वन विभाग का अमला बेबस नजर आने लगा है। वन विभाग द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराई गई जमीन पर फिर से अतिक्रमणकारी हावी होने लगे हैं। जमीन को फिर से खेती के लिए तैयार किया जा रहा है। मक्का और सोयाबीन बोने की तैयारी में हैं। अतिक्रमणकारी इस उम्मीद में हैं कि बाद में इन्हीं जमीनों पर वन पट्टे जारी हो जाएंगे।

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गुड़ी वन परिक्षेत्र में करीब ढाई हजार हेक्टेयर जमीन को बड़ी मशक्कत के बाद अतिक्रमण मुक्त किया गया था। भारी पुलिस बल व प्रशासनिक अमले के मौजूदगी में जमीन में हजारों की संख्या में गड्ढे खोदे गए थे, जिससे की इसे अतिक्रमणकारियों से बचाया जा सके। लेकिन अब बारिश के मौसम में अतिक्रमणकारी फिर से सक्रिय हो गए हैं। मक्का और सोयाबीन होने के लिए फिर से वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर खेती के लिए तैयार किया जा रहा है।

रोज कर रहे पथराव का सामना

भिलाइखेड़ा सर्कल के साथ ही अब आमाखुजरी सर्कल में भी वन कर्मियों को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इन दोनों सर्कल में अतिक्रमण कारी फिर से सक्रिय होकर खेती के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। इनसे रोज ही वन विभाग के गश्ती दल को सामना करना पड़ रहा है। वनकर्मियों को देखते हुए अतिक्रमणकारी पत्थर बरसा रहे हैं। गश्ती दल को भागकर अपनी जान बचाना पड़ रही है। इसके चलते गश्ती दल में शामिल वनकर्मी बाहर से नजर रख रहे हैं।

वन पट्टे के लिए जमीन पर कब्जा

अतिक्रमणकारी संगठित होकर विरोध कर रहे हैं। आमाखुजरी और भिलाईखेड़ा में वर्ष 2019 के पहले घना जंगल हुआ था करता था लेकिन इसके बाद बाहरी जिलों से आए लोगों ने पट्टे के लिए जंगल काट दिया। हर भरे पेड़ों को काटकर खेती के लिए जमीन तैयार की। इसके बाद पट्टों के लिए आवेदन दिए लेकिन वन विभाग ने इन्हें खारिज कर दिया।

यह कहता है वनाधिकार अधिनियम

वनाधिकार अधिनियम में 13 दिसबर 2005 के पूर्व जंगल में बसे लोगों को अधिकार दिया हैं। उन्हें पात्र मानते हुए आजीविका के लिए पट्टा दिया है। वर्ष 2005 के बाद किसी को पात्र नहीं माना। हालांकि आवेदन की समय सीमा तय नहीं की गई। इधर वन विभाग का दावा है कि 2015 तक सभी को पट्टा दे दिया गया। इसके बाद पट्टे लिए जंगल को काट रहे हैं।

– गुड़ी रेंज में अतिक्रमण मुक्त कराई जमीन पर खेती के लिए अतिक्रमणकारी सक्रिय हैं। वनकर्मियों द्वारा रोके जाने पर पत्थर से हमला कर रह रहे है। हम लगातार अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं। – राकेश कुमार डामोर, डीएफओ।