7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सरकारी मदद ठुकराते हुए बोली- मेरी बेटी चली गई 4 लाख का क्या करुंगी…

Khandwa Accident: खंडवा जिले के पाडल फाटा गांव की खामोश गलियां शुक्रवार को मातम से डूबी थीं। हर तरफ चीखें और सिसकियां गूंज रही थीं। मां अपनी मासूम गुड़िया के चेहरे को सहलाते हुए बार-बार यही कह रही थी रुपए रख लो, मेरी बेटी मुझे लौटा दो...।

2 min read
Google source verification
Khandwa Tragedy tractor trolley Accident

Khandwa Tragedy tractor trolley Accident (फोटो सोर्स : @DrMohanYadav51)

Khandwa Accident:खंडवा जिले के पाडल फाटा गांव की खामोश गलियां शुक्रवार को मातम से डूबी थीं। हर तरफ चीखें और सिसकियां गूंज रही थीं। घरों में उठे विलाप ने पूरे गांव की आंखें नम कर दीं। एक मां की होनहार बेटी, जो खुद को बेटा कहकर मां का हौसला बनती थी, अब उसका शव खाट पर था। वहीं दूसरी मां अपनी मासूम गुड़िया के चेहरे को सहलाते हुए बार-बार यही कह रही थी रुपए रख लो, मेरी बेटी मुझे लौटा दो।

मेरी बेटी चली गई..चार लाख का क्या करुंगी

संगीता के घर के सामने ही 8 साल की चंदा का घर है। अपनी बेटी चंदा की मौत(Khandwa Tragedy) से बेहाल मां जसवंती कभी बेटी के चेहरे पर हाथ फेरती तो कभी उसके बाल सहलाती। बदहवास सी मां अपनी बेटी को पुकारते हुए रोती रही। परिवार की महिलाएं उसे दिलासा देते रहे लेकिन उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। आंसुओं से भरी आंखों से सरकार की मदद को ठुकराते हुए कहती रही मेरी बेटी चली गई। 4 लाख रुपए का मैं क्या करुंगी यह रुपए रख लो और मेरी बेटी मुझे लौटा दो।

मां मैं तेरी बेटी नहीं बेटा हूं

ज्ञानसिंह का मकान गांव में चौराहे से आगे सबसे पहला है। वहीं दरवाजे पर उनकी बेटी संगीता का शव रखा था। मां प्रमिला बाई और छोटा भाई सुनील शव से लिपटकर रो रहे थे। कुछ साल पहले पति ज्ञानसिंह का साया उठ चुका था। मां कहती हैं संगीता ही मेरी ताकत थी। कहती थी मां, मैं बेटी नहीं, तेरा बेटा हूं। दसवीं में पढ़ने वाली संगीता अफसर बनने का सपना देख रही थी। रजुर के होस्टल में पढ़ाई कर रही थी। नवरात्र पर छुट्टियों में घर आई थी।

नेता अधिकारियों की भीड़

मौत के बाद पाडल फाटा गांव में मजमा लगा रहा। अपनों को खो चुके परिवार के जमों पर नेता व अधिकारी आश्वासन का मरहम लगाते रहे लेकिन उनकी भूख किसी को नहीं नजर आए। राहत के नाम पर केवल आश्वासनों की झड़ी लगाने वाले नेता व अधिकारी एक वक्त के भोजन की भी व्यवस्था नहीं कर पाए। पुलिस ने मानवता दिखाते हुए, खुद के लिए आए भोजन के पैकेट मृतकों के परिजन को बांट दिए। पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय को जब पता चला की मृतकों के परिजन भूखे हैं। तब एसपी राय ने मानवता दिखाते हुए भोजन की व्यवस्था करने के लिए कहा। डीएसपी चौहान ने भोजन पैकेट सभी मृतकों के परिवार के साथ ही बाहर से आए उनके रिश्तेदारों में बटवा दिए।