27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

थम गई कोहदड़ रेलवे स्टेशन की धड़कन, मैं अब भी इंतजार में हूं..

मैं एक छोटा-सा रेलवे स्टेशन हूं कोहदड़। कभी जिंदगी की रफ्तार से भरा हुआ, आज खामोशी की चादर ओढ़े खड़ा हूं। 6 साल हो गए, एक भी ट्रेन नहीं रुकी मेरे पास। ना कोई सीटी, ना कदमों की आहट, ना बच्चों की हंसी, और ना ही वो बुजुर्ग जो रोज मेरे बेंच पर बैठकर चाय पीते थे। एक वक्त था जब सूरज की पहली किरण के साथ मैं जाग उठता था। गाड़ी नंबर 51158, 51188, 51187 और 51157 की सीटी बजते ही मेरी छाती में हलचल होती थी। जैसे कोई मां अपने बच्चों को स्कूल भेजती है। गांव के किसान अपनी फसलें ले जाते, छात्र शहरों की ओर पढ़ने निकलते, और जवान नौकरी की तलाश में सफर करते। मेरे प्लेटफॉर्म पर बिछी पटरी से सिर्फ रेलगाड़ी नहीं, गांव के सपने गुजरते थे।

2 min read
Google source verification
मैं एक छोटा-सा रेलवे स्टेशन हूं कोहदड़

खंडहर हुआ टिकिट घर