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MP Election 2023 : यहां वादों में बनते हैं पुल-पुलिया, हकीकत में ग्रामीणों को घुटने भर पानी में पार करना पड़ता है रपटा

खंडवा-इंदौर हाइवे के पर बसे गांवों में खेत-खलिहान के बीच पुल, पुलिया और सड़क का रोड़ा

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खंडवा

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Rajesh Patel

Oct 15, 2023

MP Election 2023 : Bridges are built in promises

MP Election 2023 : Bridges are built in promises

खंडवा . खंडवा- इंदौर हाइवे पर चढ़ते ही कुछ दूर पर पंधाना विधानसभा शुरू हो जाती है। शहर और छैगांव माखन ब्लाक मुख्यालय के बीच हाइवे के दोनों छोर पर करीब 40-50 की जनता पुल-पुलिया के दर्द से कराह रही है। हर साल चुनावी शोर में उनके मुद्दे गायब हो जाते हैं। हाइवे के उत्तर-दक्षिण छोर के दो दर्जन गांवों को जोड़ने वाले छैगांव देवी से पांझरिया मार्ग में आबना नदी पर रपटा बना है

एक करोड़ की पेय जल योजना भी नहीं बुझा सकी प्यास

छैगांव देवी गांव में हाइवे के तिराहे पर स्थित चबूतरे पर गुरुवार दोपहर 12.10 बजे 8 से 10 बुजुर्ग गपशप कर रहे थे। विकास की बात पूछते ही वहां बैठे बुजुर्ग भड़क गए । 72 साल के सीताराम पटेल आबना नदी पर बने रपटा की ओर हाथ दिखाते हुए बोले देखिए हमारा विकास यही है, दो पीढ़ी गुजर गईं। आज भी रपटा पार करने नदी में पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है। बारिश के समय आठ-आठ दिन बीत जाते हैं। दस साल पंचायत ने रपटा बना दिया। हर साल पानी में गिट्टी बह जाती है। आज भी घुटनेभर पानी में आते-जाते हैं। यह रपटा उत्तरी व दक्षिणी छोर के दो दर्जन गांव के बीच बेटी, रोटी का रिश्ता चलता है। किसानों को खेत-खलिहान जोड़ता हैं। बगल में बैठे बुजुर्ग गणपति रामजी और अजीत बोले कि रपटा पर पुल का निर्माण होना था, लेकिन राजनीति के कारण रहमापुर चला गया। रपटा पार कर रहे गांव के बलिराम, ममता बाई और बलिराम ने कहा गांव में रपटा के साथ पेयजल की सबसे बड़ी समस्या है। एक करोड़ की टंकी बनी है। पाइप लाइन भी बिछी है। नलों में पानी नहीं आ रहा। गर्मियों में दाल पकाने बैलगाड़ी पर बर्तन लेकर दो से तीन किमी पसीना बहाना पड़ रहा है।

पुलिया निर्माण से दूर होगा दोंदवाड़ा, टाकली में रोजमर्रा की जिंदगी का दर्द

गुरुवार दोपहर 1.30 बजे हाइवे के दक्षिणी पर छोर में दोंदवाड़ा के मिश्रीलाल चौधरी के खेत पर टाकली की महिलाएं मिर्ची की छटाई कर रहीं थीं। समस्या पूछने पर महिलाओं ने टाकली-मोरा गांव को जोड़ने आबाना नदी पर पुलिया निर्माण की लंबे समय से दरकार है। रपटा पर पानी भरने से खेत-खलिहान तक मुश्किल होता है। बारिश के दौरान बीमार होने पर नदी को पार करना दुश्वार होता है। मिर्ची की खेती करने वाली रेखा चौधरी कहती हैं कि पुलिया का निर्माण नहीं होने से टाकली से महिलाएं काम के लिए नहीं आती हैं। चुनाव के दौरान हर बार नेताओं से आश्वासन मिलता है। लेकिन नदी पार करने का दर्द दूर नहीं हो रहा है। दो हजार की आबादी वाले दोंदवाड़ा गांव का सबसे बड़ा दर्द आबना नदी पुलिया निर्माण नहीं होना है। दोंदवाड़ा के सरपंच यशवंत पटेल कहते हैं कि गर्मी के समय एक हजार फीट की बोरिंग सूख जाती है। टंकी का निर्माण हो गया है। 300 परिवारों ने कनेक्शन कि लए आवेदन दिया है। अभी पाइप लाइन नहीं बिछी है। कुंआ से कंठ सींच रहे हैं।