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आश्चर्यचकित करने वाला है मंजर, यहां नर्मदा करती हैं भगवान शिव की परिक्रमा, उल्टी बहती है नदी

मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के बड़वाह में गंगातखेड़ी में देखने को मिलता है ये अनुपम दृश्य, गंगेश्वर शिवलिंग के लगाती हैं चक्कर, यहां पर गंगा में स्नान करने जैसा मिलता है फल।

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Editorial Khandwa

Dec 15, 2016

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विपिन अवस्थी

खंडवा/ बड़वाह.
अमरकंटक से लेकर खंभात की खाड़ी तक मां नर्मदा सभी नदियों के विपरीत पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती हैं, लेकिन खरगोन जिले के बड़वाह की ग्राम पंचायत गंगातखेड़ी वह अनोखी जगह है जहां मां नर्मदा पूर्व की तरफ बहती हैं। यहां नर्मदा भगवान शंकर धारेश्वर (गंगेश्वर) महादेव के चक्कर लगाती हैं। यहां करीब 25 फीट चौड़ी होकर 50 फीट तक पूर्व दिशा की ओर बहकर दोबारा विपरीत दिशा में बहने लगती हैं। धारेश्वर मंदिर के पुजारी कैलाशगिरी गोस्मामी बताते हैं यहां पर नर्मदा स्वयंभू शिवलिंग की परिक्रमा करती हैं।


नर्मदाविद् की कलम से...

एसएन कॉलेज के रिटायर्ड प्राचार्य व नर्मदाविद् डॉ. श्रीराम परिहार ने बताया ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को यहां पर विशाल मेला लगता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी इस नदी में स्नान करता है उसे गंगा में स्नान करने का फल मिलता है। यहां पर शिवलिंग था जहां आसपास एक ओटले का निर्माण करवा दिया गया है। यह एक धरोहर है इसका सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। यहां पर महेश्वर परियोजना अंतर्गत बांध बनाया जा रहा है। यदि बांध बनता है तो यह आश्चर्यचकित करने वाली धारा नष्ट हो जाएगी।



ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग




ये है गंगेश्वर का आध्यात्मिक तर्क

धारेश्वर मंदिर के पुजारी कैलाशगिरी गोस्वामी ने बताया नर्मदा पुराण में ऐसा उल्लेख है कि त्रेतायुग में मतंग ऋषि नर्मदा के उत्तर तट पर तपस्या कर रहे थे। इस दौरान उनकी परीक्षा लेने चार बालसंत सनक, सनंदन, सनातन और सदनकुमार अवतरित हुए। जब ये सभी बालसंत ऋषि के पास पहुंचे तो अतिथि देवो भव: की तर्ज पर मंतग ऋषि ने न केवल उनका आदर, संस्कार किया बल्कि भोजन करने का आग्रह भी किया। भोजन का आग्रह स्वीकार करने से पहले बाल संत ने अपनी-अपनी शर्त रखी। पहले ने कहा में बगैर गंगा स्नान करे भोजन नहीं करता। दूसरे ने कहा कि समुद्र स्नान करने के बाद ही मैं भोजन करता हूं। तीसरे ने कहा सहस्त्र लिंग पूजन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करता हूं। चौथे ने कहा मैं हाथी भस्म को हाथ न लगा लूं तब तक भोजन नहीं करता हूं। ये सभी शर्तें सुन ऋषि मंगत ने अपने तपोबल से नर्मदा तट पर ये चारों स्थान उपलब्ध करवा दिए। गोस्वामी पुजारी ने बताया कि ये चारों स्थान आज मौजूद हैं।


संत कर रहे विरोध

गंगातखेड़ी के पास बनने वाली महेश्वर परियोजना का संत विरोध कर रहे हैं। यहां पर गंगातखेडी व धुवाटिया के संत बंगाली बाबा व ग्रामीण योगेश गोस्वामी ने बताया कि आगामी दिनों में महेश्वर परियोजना के बांध में पानी भरने की स्थिति में यह प्राचीन धरोहर जलमग्न हो

जाएगी। पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्रामीण गंगादश्मी को यहां मध्यप्रदेश सहित अनेक प्रांतों से दर्शन करने पहुंचते हैं।