खंडवा.
पाकिस्तान की कैद से रिहा होकर राजू प्रशासन की टीम के साथ खंडवा के लिए रवाना हो गया है। मंगलवार देर रात टीम खंडवा पहुंची। बुधवार सुबह प्रशासन द्वारा राजू को उसके परिवार के सुपुर्द किया। ट्रेन यात्रा में राजू अपने साथ मौजूद प्रशासन की टीम को एक-एक कर अपनी कहानी बयां की। हालांकि राजू पूरी तरह खुलकर बात नहीं कर पाया, पांच साल की कैद के दौरान हुए जुल्म की दहशत उसके चेहरे पर अब भी है। उसे तो ये भी नहीं पता था कि वो पाकिस्तान की कैद में है।
पांच साल पहले पुनासा ब्लाक के इंधावड़ी निवासी राजू पिता लक्ष्मण पिंडरे घर से गायब हो गया था। बाद में पता चला कि राजू पाकिस्तान की जेल में बंद है। केंद्र सरकार की पहल पर राजू की रिहाई हुई और सोमवार को अमृतसर रेडक्रास सोसायटी ने उसे खंडवा से गई प्रशासन की टीम के सुपुर्द किया। सोमवार को छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस से टीम उसे लेकर इटारसी के लिए रवाना हुई। मंगलवार रात 9.15 बजे टीम उसे लेकर इटारसी पहुंच गई थी। रात को दूसरी ट्रेन से लेकर खंडवा के लिए रवाना हुए। बुधवार सुबह राजू के परिजन खंडवा पहुंचे, जहां जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उसे माता-पिता के सुपुर्द किया।
दाल-रोटी के साथ नानवेज भी मिलता था
ट्रेन के सफर में राजू टीम के साथ बात भी क है। टीम में मौजूद एएसआइ महेश श्रीवास्तव, शिक्षा विभाग के लेखापाल सुनील गौर और अपने भाई दिलीप को धीरे-धीरे कर कैद के दौरान हुई घटनाओं की जानकारी। राजू ने बताया कि उसे नहीं पता कि वो पाकिस्तान कैसे पहुंच गया। उसे तो ये भी नहीं पता था कि वो दूसरे देश में है, वह ये ही समझ रहा था कि खंडवा पुलिस ने उसे पकड़ा है। राजू ने बताया कि कैद के दौरान पुलिस ने उसे खूब मारापीटा और पूछताछ भी की, लेकिन उसे कुछ पता ही नहीं था। इसके बाद पुलिस ने उसे जेल में डाल दिया। जेल में उसे खाने में दाल, सब्जी, रोटी के साथ नानवेज भी मिलता था। बीमार पडऩे पर जेल में ही अस्पताल में इलाज भी किया जाता था।