
Shankaracharya Swami Nischalanand Saraswati Maharaj speech in khandwa
खंडवा/पत्रिका . सरकार और शासन तंत्र को विकृत करने को विकास बता रहे हैं। देश की नदियों की दिव्य जलधारा खत्म होने की कगार पर है। लोगों के जागरुकता नहीं दिखाने पर लोकतांत्रिक प्रजातंत्र में मानवीयता को नष्ट करने के प्रयास कर रहे हैं। गंगा, यमुना व नर्मदा सहित देश की अन्य नदियों का विनाश हो रहा है। इस पर विकास के नाम पर नदियों की दशा बिगड़ गई है और बिगड़ती जा रही है। जनता को जागरूक होना चाहिए। अभियान चलाने के बाद जनता शासन के साथ हो जाती है फिर नर्मदा रहे या न रहे। आस्था को ताक पर रख कर इस देश को विकास की जरूरत नहीं है। गंगा, नर्मदा जैसी दिव्य जल धाराआें को विकृत करना और विकास का दिखावा कर इन्हें नष्ट करने के लिए सरकार जुटी हुई है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
उक्त उद्गार सनातन धर्म सम्मेलन में आए जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने पत्रकार वार्ता के दौरान व्यक्त किए। उनके साथ स्वामी निर्विकल्पानंद महाराज, सचिव प्रभात झा, शिष्य सहित कुक साथ आए हैं। शंकराचार्य अधिकांश सफर रेल से ही तय करते हैं। इन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी पसंद नहीं है। सरकार संतो को राम मंदिर को लेकर मौन कर रही है। सरकार कहती है कोर्ट में हमारे विरोध में निर्णय आएगा, तब इस पर कदम उठाएंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि भाजपा ने कोई मंदिर बनवाने की बात ही नहीं कही। संतों को पार्टी से ऊपर उठकर सहभागिता को आगे लाना चाहिए। सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है। इसकी सुनवाई ६ दिसंबर से होने जा रही है। राम के नाम पर राजनीतिक दल सिर्फ अपना मतलब साध रहे हैं।
आेंकारेश्वर शिवलिंग क्षरण रोकने करेंगे चर्चा
आेंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग शिवलिंग का क्षरण हो रहा है। पत्रिका के सवाल पर जगदगुरु शंकराचार्य ने कहा मंदिर समिति आकर उनसे मिले, चर्चा की जाएगी। उन्हें सुझाव व समाधान बताए जाएंगे। बता दें कि उज्जैन में भी कोर्ट के आदेश के बाद महाकालेश्वर शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए आरओ वाटर से अभिषेक शुरू किया गया है। इसे लेकर मंदिर ट्रस्ट के राव देवेंद्र सिंह का कहना है कि चर्चा कर सुझाव लिए जाएंगे। इसे लेकर जल्द उपाय करना है। इसके प्रयास किए जा रहे है।
विकृत हो रही है नर्मदा...
उत्तराखंड के बाद गंगा कहां है सिर्फ नाम रह गया है। आस्था को ताक पर रख कर विकास किया जा है। संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है। सरकार गंगा और नर्मदा को बचाने का ढोंग कर रही है। उसी प्रकार नर्मदा के साथ हो रहा है। इसे बचाने की बात करते हैं लेकिन बचाते नहीं हैं। सरकार कहती है कि हिन्दुत्व के नाम नहीं विकास के नाम पर चुनाव लड़ कर सत्ता बनाई है। रामजी के नाम पर नहीं आए। सत्ता प्रबल होने पर कुछ भी कर सकती है तो विरोध भी होना चाहिए। वेदों से सनातन दर्शन व्यवहार, वैदिक दर्शन, व्यवहार सब सत्य है। दर्शन व्यवहार विज्ञान में हमारे यहां सामंजस्य है। हमारा विज्ञान सृष्टि से जुड़ा हुआ है। जहां वैदिक सिद्धांत नहीं माने जाते वहां विकृति पैदा होती है।
Published on:
22 Nov 2017 09:30 am
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