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स्वच्छता सर्वेक्षण-2024 : खंडवा स्वच्छता पर करोड़ों खर्च के बाद भी रैंकिंग से हो गया बाहर, जानिए क्यों ?

स्वच्दता सर्वेक्षण की तैयारी पर निगम ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। फिर भी टॉप-10 की लिस्ट तक नहीं पहुंच सके। नेशनल स्तर पर 55 वीं और राज्य स्तर पर 62 वीं रैंक मिली है।

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खंडवा

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Rajesh Patel

Jul 18, 2025

Cleanliness Survey-2024-25

शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करते सफाई कर्मचारी।

केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्रालय दिल्लीने स्वच्छता सर्वेक्षण-2024-25 की रिपोर्ट जारी कर दी है। स्वच्दता सर्वेक्षण की तैयारी पर निगम ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। फिर भी टॉप-10 की लिस्ट तक नहीं पहुंच सके। नेशनल स्तर पर 55 वीं और राज्य स्तर पर 62 वीं रैंक मिली है। तीसरे-चौथे चरण में बेहतर अंक लाकर जैसे-तैसे लाज बचाई। निगम को 12,500 में से 9,766 नंबर मिले हैं।

नेशनल स्तर पर 55 वीं, राज्य स्तर पर 62 वीं रैंक

केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2024-25 की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस बार भी हम टॉप-10 की लिस्ट से बाहर हो गए। देशभर के 50 हजार से 3 लाख आबादी वाले 824 शहरों में से नेशनल स्तर पर 55 वीं और राज्य स्तर पर 62 वीं रैंक मिली है। 14 रैंक नीचे आ गए। 12,500 अंक में से 9,766 नंबर ही मिले।इसकी वजह निगम घर-घर गीला और सूखा कचरे को अलग-अलग कराने में ( सोर्स सेग्रीगेशन ) नाकाम रहा। इस श्रेणी में 55 % अंक कट गए। सिर्फ 45 % अंक ही मिले। पुराने कचरे के निस्तारण की श्रेणी में 28 % अंक कटे। नहीं तो देश के नवंबर वन शहरों की लिस्ट में हमारा खंडवा भी होता।

आठ मापदंडों में से दो में कटे अंक

स्वच्छता के आठ मापदंडों में से छह गतिविधियों में शत प्रतिशत (100 % ) अंक जुटाने के बावजूद हम जिस रैंक पिछले साल रहे इस साल उससे भी नीचे आ गए। थ्री-स्टार रेटिंग से फिसलने के बाद भी सबक नहीं लिया। वन स्टार रेटिंग में भी पिछड़ गए। स्वच्छता के चार चरणों में से पहले, दूसरे में फिसड्डी रहे, तीसरे और चौथे शत प्रतिशत अंक ने लाज बचाई।

तीन साल से लगातार नीचे गिर रहा ग्राफ

स्वच्छता में हम लगातार तीन साल से फिसल रहे हैं। वर्ष 2023-24 की 12 वीं और 3024-25 में 36 वें रैंक पर थे। महापौर अमृता यादव और आयुक्त प्रियंका सिंह राजावत का कहना है कि अगले साल रैंकिंग सुधारने अभी से सख्ती से नियमों का पालन करेंगे।

कचरे के ढेर पर शहर, गले नहीं उतर रहा शत-प्रतिशत अंक

स्वच्छता सर्वेक्षण में आठ गतिविधियों के मापदंड तय किए गए थे। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, इसमें अव्यवस्था है फिर भी 100 % अंक मिले। ट्रेचिंग ग्राउंड पर पुराने कचरे का पहाड़ लगा है। जल स्रोत, बाजार और मोहल्ले में भी शत प्रति प्रतिशत अंक मिले। जबकि फील्ड में चहुंओर गंदगी फैली है। सार्वजनिक टॉयलेट के भी बुरे हाल हैं। लेकिन पूरे अंक मिले। सिर्फ सूखा व गीला कचरे को अलग नहीं कर पाने में टॉप-10 की रैंकिंग में भी शामिल नहीं हो सके।

6.75 करोड़ का ठेका देकर नहीं जुटा पाए 28 % अंक

निगम ट्रेचिंग ग्राउंड पर लिगेसी वेस्ट का रेमेडिएशन (1.36 लाख टन पुराने कचरे का निस्तारण ) से 100 % अंक जुटाने 6.75 करोड़ का कोर प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग अमरावती ( महाराष्ट्र ) को ठेका दिया। इसके बावजूद 28 % अंक नहीं जुटा सका। इसमें 72 % अंक ही मिले हैं। ग्राउंड पर 50 टन से अधिक पुराना कचरा डंप है। यहां पर खाद सयंत्र भी बंद पड़े हैं।

तीसरे व चौथे चरण में बेहतर कार्य कर बचाई लाज

स्वच्छता की रैंकिंग 4 चरणों होती है। पहले, दूसरे में पीछे रहे। तीसरे-चौथे चरण में बेहतर कार्य कर छह गतिविधियों में शत प्रतिशत अंक मिले। तत्कालीन निगम आयुक्त निलेश दूबे के समय में पहला और दूसरा में गतिविधी बेहद कमजोर रही। तीसरे और चौथे चरण में नए आयुक्त रूप में प्रियंका सिंह राजावत ने चार्ज लिया। अंतिम चरण में पब्लिक टॉयलेट, जल स्रोत की सफाई की। मोहल्लों में सामूहिक रूप से अभियान चलाया। 20 से अधिक कचरा डम्पिंग साइट पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर जुर्माना वसूले।

फैक्ट फाइल

• नगर निगम कोड : 802435

• कुल वार्ड : 50

• जनसंख्या (2011) : 2,00,738

• ODF सर्टिफिकेशन : ODF++

• GFC स्टार रेटिंग 1 Star

ULB प्रदर्शन (अंक आधारित मूल्यांकन ) *

स्वच्छता सर्वेक्षण स्कोर (10,000 में से ) : *

• खंडवा : 8,455.53 अंक

• राष्ट्रीय औसत : 6,066.81 अंक

• राज्य औसत : 7,830.17 अंक

प्रमाणन स्कोर (2,500 में से)

• ODF: 1,000 अंक

• GFC: 500 अंक

• राष्ट्रीय औसत (ODF+GFC): 893.85 अंक

कुल स्कोर (12,500 में से) : *

• खंडवा: 9,766.00 अंक

• राज्य औसत: 8,681.00 अंक

• राष्ट्रीय औसत: 6,455.00 अंक

ऐसे समझें सिटी रिपोर्ट कार्ड (प्रमुख सूचकांक)

• घर-घर कचरा संग्रहण : 100 %

• स्रोत पर कचरा पृथक्करण : 45 %

• कचरा उत्पादन बनाम निस्तारण : 99 %

• डम्प साइट पुनर्निर्माण : 72 %

• आवासीय क्षेत्रों की सफाई : 100 %

• बाजार क्षेत्रों की सफाई : 100 %

• जल स्रोतों की स्वच्छता : 100 %

• सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता : 100 %

इनका कहना : आयुक्त नगर निगम : प्रियंका सिंह राजावत

कर्मचारियों ने फील्ड में काफी मेहनत किया है। जन सहयोग कम मिला। डोर टू डोर कचरा से लेकर शहर में कचरे और जल स्रोतों की सफाई में शत प्रतिशत अंक मिले हैं। अच्छी रैंकिंग के लिए जनता का सहयोग जरूरी है। समूह की महिलाओं की टोली गठित कर कचरा गाड़ी के साथ घर-घर सूखा और गीला कचरे को रखने जनता को जागररूकता करेंगे।

इनका कहना : महापौर : अमृता यादव, महापौर

रैंकिंग कम कैसे हुई इसकी हम समीक्षा करेंगे। अगले साल की रैंकिंग सुधारने अभी सख्ती करेंगे। जन सहयोग से शहर की स्वच्छता को बेहतर किया जाएगा। इसके लिए घर-घर का सहयोग जरूरी है।