जैन संत ललित प्रभ सागर महाराज और डॉ. शांतिप्रिय सागर महाराज समाज के आग्रह पर तीसरे दिन खंडवा प्रवास पर रहे। शुक्रवार सुबह पुरानी अनाज मंडी में संत प्रवचन और सत्संग का आयोजन सकल जैन समाज द्वारा किया गया। संत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि किसी भी घर की ताकत दौलत और शौहरत नहीं, प्रेम और मोहब्बत हुआ करती है। प्रेम के बिना धन और यश व्यर्थ है। जिस घर में प्रेम है वहां धन और यश अपने आप आ जाता है।
उन्होंने कहा कि जहां सास-बहू प्रेम से रहते हैं, भाई-भाई सुबह उठकर आपस में गले लगते हैं और बेटे बड़े-बुजुर्गों को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं, वह घर धरती का जीता-जागता स्वर्ग होता है। उन्होंने कहा कि अगर भाई-भाई साथ है तो इससे बढकऱ मां-बाप का कोई पुण्य नहीं है, और मां-बाप के जीते जी अगर भाई-भाई अलग हो गए तो इससे बढकऱ उस घर का कोई दोष नहीं है।उन्होंने कहा कि अगर आप संत नहीं बन सकते तो सगृहस्थ बनिए और घर को पहले स्वर्ग बनाइए।
घर को मंदिर क्यों नहीं बनाते
घर को मंदिर बनाने की प्रेरणा देते हुए संत ने कहा जहां हम आधा-एक घंटा जाते हैं, उसे तो मंदिर मानते हैं, पर जहां 23 घंटे रहते हैं उस घर को मंदिर क्यों नहीं बनाते हैं। उन्होंने कहा कि घर का वातावरण ठीक नहीं होगा तो मंदिर में भी मन में शांति नहीं रहेगी पर हमने घर का वातावरण अच्छा बना लिया तो हमारा घर-परिवार ही मंदिर-तीर्थ बन जाएगा। संत ने कहा कि घर का हर सदस्य संकल्प ले कि वह कभी किसी का दिल नहीं दुखाएगा। प्रवचन सुनकर उपस्थितजनों ने प्रतिदिन सुबह उठकर माता-पिता के पंचांग प्रणाम करने का संकल्प भी लिया।
मेडिटेशन भी कराया
इससे पूर्व डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को प्रतिदिन मेडिटेशन करने की प्रेरणा देते हुए संबोधि मंत्र मेडिटेशन का अभ्यास करवाया। प्रचार मंत्री चंद्रकुमार सांड ने बताया कि दोपहर को संतों की आहारचर्या नवनीत बोथरा के यहां हुई। शाम को संत ससंघ का विहार हुआ। रात्रि विश्राम सिरपुर में रहा। शनिवार को यहां से विहार कर संत संघ पंधाना पहुंचेगा, जहां उनके विशेष प्रवचन होंगे। तीन दिन प्रवास के दौरान प्रचार मंत्री चंद्रकुमार सांड द्वारा किए गए कार्य को लेकर संतों ने उनका सम्मान भी किया।