
Touching: youth dies after falling from train in khandwa
खंडवा. जहां एक ओर पूरा देश मंदी की चपेट में है। वहीं दूसरी ओर आर्थिक तंगी से जूझ रही एक पत्नी की दर्दभरी दास्तान सामने आई है। तंगी की मार ऐसी रही कि एक महिला को आखिरी बार अपने सुहाग का चेहरा देख पाना भी नसीब नहीं हुआ। यह कहानी झारखंड के पाकुड़ जिले की रहने वाली गंगाबाई की है। पति बामना पिता रावेत पहाडिय़ा (30) निवासी जोरडीहा बड़ा चटकम सिमलोंग, पाकुड़ (झारखंड) मुंबई में रहकर निजी फैक्ट्री में मजदूरी कर रहा था। वहीं गंगा अपने घर जोरडीहा में रहती है। 5 फरवरी को पति बामना पत्नी गंगा से मिलने के सपने लेकर मुंबई से ट्रेन में सवार हुआ। घर की ओर ट्रेन बढ़ रही थी, लेकिन काल की नियति को कुछ और ही मंजूर था। खंडवा आउटर पर अचानक बामना ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो गया। उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। उधर, पत्नी गंगा पति का घर पर बेसब्री से इंतजार कर रही थी, लेकिन पति घर नहीं पहुंचा और उसकी मौत की खबर पहुंच गई। पति की मौत की खबर सुनते ही गंगा के पैरों तले से जमीन खिसक गई। अब झारखंड से 1279 किमी दूर खंडवा आकर पति का आखिरी बार चेहरा देखना गंगा के लिए चुनौती बन गया। आर्थिक तंगी के चलते उसके पास इतने भी रुपए नहीं थे कि वह खंडवा तक आ सके और न ही कोई दूसरा सहारा।
मां-पिता नहीं, पत्नी ने आने से किया इनकार
बामना की मौत की खबर खंडवा से पत्नी गंगा को दी गई और उसे खंडवा आने का बोला, लेकिन उसने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए आने से इनकार कर दिया। फोन पर सिसकते हुए गंगा का कहना था कि उसके पास इतने रुपए भी नहीं है कि वह खंडवा तक पहुंच सके और न ही कोई मदद करने वाला है। घर में सास-ससुर भी नहीं जो उसके साथ आ सकें। मीलों दूर से आना मुश्किल होगा। आप लोग ही उनका अंतिम संस्कार कर दीजिए। पत्नी गंगा की कहानी सुन समाजसेवियों की आंखें छलक उठी।
नंबर बंद जा रहे थे, झारखंड पुलिस ने तलाशा परिवार
समाजसेवी मुबारिक पटेल बताते है कि बामना का शव क्षत-विक्षत हालत में रेलवे ट्रैक पर मिला था। उसकी जेब से मोबाइल मिला। इसमें परिजन के नंबर पर कॉल किया तो बंद आ रहे थे। इसी दौरान झारखंड के परिचित एसआइ हशरत जमाल से संपर्क किया। उन्हें मामले की जानकारी दी। उन्होंने मृतक का घर तलाशा और घटना की जानकारी दी। पत्नी से बात कराई तो उसने खंडवा आने से इनकार कर दिया। उन्होंने मुंबई में रहने वाले मृतक के साले की जानकारी दी। इसके बाद साले माइकल और अरुण से संपर्क किया। दोनों साले खंडवा आए। इस पर बामना का अंतिम संस्कार राजा हरिश्चंद्र मुक्तिधाम में कराया गया। मुबारिक ने कहा अफसोस सिर्फ इतना है कि मृतक की पत्नी आखिरी बार अपने सुहाग का चेहरा भी नहीं देख पाई।
Published on:
12 Feb 2020 12:55 am
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