खंडवा.
आदिवासी अंचल में झाड़ फूंक करने वाले भुमका-पडिहारों (तांत्रिक) अब कुपोषण को दूर करने शासन के मददगार बनेंगे। कुपोषण को दूर करने समाजसेवी संस्था समूह मुखिया पडिहारों की मदद ले रही है। इसके लिए बुधवार को स्पंदन समाज सेवा समिति द्वारा ग्लेनमार्क मुंबई के सहयोग से दो दिवसीय समूह मुखिया प्रशिक्षण का आयोजन जसवाड़ी रोड स्थित परिसर में किया गया। इस दौरान पडिहारों को कुपोषण मापने की वैज्ञानिक विधियों का प्रशिक्षण दिया गया।
स्पंदन समाजसेवा समिति की सीमा प्रकाश ने बताया कि आदिवासी अंचलों में आज भी पडिहारों (तांत्रिकों) की ही बात समुदाय सुनता है। समुदाय में इनकी इतनी पैठ होती है कि बिना इनकी आज्ञा के कोई भी काम आदिवासी समाज के लोग नहीं करते है। इनके द्वारा देशी तरीकों से इलाज भी किया जाता है। इनकी मदद से समुदाय को कुपोषण के लिए जागरूक किया जा सकता है। इसलिए भुमका-पडिहारों को कुपोषण नापने के लिए वैज्ञानिक विधियां बताई गई। दो दिवसीय कार्यशाला में खालवा, पंधाना और खकनार के 50 भुमका-पडिहार शालि हुए। प्रशिक्षण के दौरान कुपोषण के लक्षणों को जानने, अपने गांव में ही बच्चों का वजन और लंबाई नापने और गंभीर और अति गंभीर कुपोषित बच्चों के परिवारों को सही देख-रेख और पोषण की जानकारी देने के बारे में बताया गया।
किट भी उपलब्ध कराई, दिया आई कार्ड
कार्यशाला में आए पडिहारों ने यहां मौजूद एक बालक के माध्यम से पोषण मापन सीखा। भोजन और पोषण विविधता की समझ बना सकें व समाज में व्यवहार परिवर्तन में अहम भूमिका निभा सकें, इसके लिए इन्हें समााजिक व्यवहार परिवर्तन एजेंट का खिताब भी दिया गया। साथ ही बच्चों को मापने के लिए साधन भी उपलब्ध कराए गए। इन्हें बताया गया कि यदि बच्चे के नापने पर टेप में वह लाल निशान पर आता है तो उसे उचित इलाज के लिए एनआरसी में ले जाने के लिए माता-पिता को प्रेरित करें। इनकी सहायता के लिए संस्था के स्थानीय कार्यकर्ता भी इनका मार्गदर्शन करेंगे। सीमा प्रकाश ने बताया कि सरकार इनको प्रोत्साहित करे तो ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य और पोषण की रिक्तता को पूरा कर सकते हैं।