scriptबांध में पानी भरने के विरोध में आज से जल सत्याग्रह करेंगे डूब प्रभावित | Water Satyagraha to protest against filling water in Omkareshwar dam | Patrika News

बांध में पानी भरने के विरोध में आज से जल सत्याग्रह करेंगे डूब प्रभावित

locationखंडवाPublished: Oct 25, 2019 12:50:28 am

नर्मदा बचाओ आंदोलन के आह्वान पर ग्राम कामनखेड़ा में होगा विरोध

Water Satyagraha to protest against filling water in Omkareshwar dam

Water Satyagraha to protest against filling water in Omkareshwar dam

खंडवा. नर्मदा बचाओ आंदोलन के आह्वान पर डूब प्रभावितों का पुनर्वास किए बगैर ओंकारेश्वर बांध में भरे जा रहे पानी के विरोध में शुक्रवार से डूब प्रभावित जल सत्याग्रह शुरु कर रहे हैं। जल सत्याग्रह डूब प्रभावित ग्राम कामनखेड़ा में सुबह 11 बजे से शुरू होगा। जल सत्याग्रह को लेकर गुरुवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन के पदाधिकारियों ने ग्राम-ग्राम पहुंचकर प्रभावितों की बैठक ली। साथ ही सत्याग्रह के लिए कामनखेड़ा में बैनर-पोस्टर लगाकर प्रदर्शन स्थल को तैयार कर लिया गया है। आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल ने जल सत्याग्रह को लेकर गुरुवार को ग्राम घोघलगांव, टोकी, एखण्ड, कामनखेड़ा आदि ग्रामों में डूब प्रभावितों की बैठक ली। जिसमें सभी प्रभावितों ने सत्याग्रह का समर्थन किया है। वहीं शुक्रवार को सत्याग्रह में शामिल होने की बात कही। यहां बता दें 21 अक्टूबर से ओंकारेश्वर बांध में जलस्तर बढ़ाते हुए एक मीटर से ज्यादा पानी भरा गया है। इससे कुछ गांवों के रास्ते बंद हो गए हैं। साथ ही सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पानी के बीच टापू बन गई है। उल्लेखनीय है कि शासन ओंकारेश्वर बांध को पूरी क्षमता 196.6 मीटर तक भरने की तैयारी में है। वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन के पदाधिकारी पूनर्वास होने तक पूर्व निर्धारित 193 मीटर तक पानी भरने की मांग कर रहे हैं।
अंधेरे में ग्राम घोघलगांव के रहवासी
आंदोलन के प्रमुख आलोक अग्रवाल ने बताया यह विडंबना है कि बिजली परियोजना से होने वाले प्रभावित बगैर पुनर्वास हुए अंधेरे में रहने मजबूर हैं। यह उन लोगों के आदेश पर हो रहा है जो कभी एक घंटे बगैर बिजली के नहीं रहे हैं। ग्राम घोघलगांव में बिजली आपूर्ति बंद की गई है। इससे ग्रामवासी अंधेरे में रात बिता रहे हैं। जबकि आसपास पानी होने से जलीय-जीव का खतरा बना रहता है। इस समय 450 से अधिक लोगों को पुर्नवास पैकेज, घर व प्लाट सहित अन्य पुनर्वास के अधिकार मिलना बाकी है। फिर भी बांध में पानी भरना शुरू कर दिया गया है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों में साफ है कि पुर्नवास पूरा होने के बाद ही पानी भरा जा सकता है। ऐसे में ओंकारेश्वर बांध में लाई जा रही डूब गैर कानूनी, असंवैधानिक है।
क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर बांध के प्रभावित गत 12 वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं गत 13 मार्च 2019 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ओंकारेश्वर बांध के बांध प्रभावितों के पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य सरकार के पूर्व में घोषित पैकेज पर 15% वार्षिक ब्याज की बढ़ोतरी की थी साथ ही प्रभावितों द्वारा जमा की गई राशि पर भी 15% वार्षिक ब्याज देने का निर्णय लिया गया था. इस आदेश के प्रकाश में राज्य शासन द्वारा 31 जुलाई 2019 को विस्थापितों को पुनर्वास अधिकार देने का आदेश दिया था. अभी सैकड़ों प्रभावितों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार यह पैकेज दिया जाना बाकी है. इसके साथ ही सैकड़ों प्रभावितों को घर प्लॉट एवं अन्य पुनर्वास की सुविधाएं दिया जाना भी बाकी हैं. कानून स्पष्ट है कि सभी प्रभावितों का पुनर्वास डूब आने के 6 माह पहले होना जरूरी है अतः बिना पुनर्वास के पानी भरने की कोई भी कार्रवाई पूर्णतः गैरकानूनी होगी!
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