घायल वृद्धा जीवनबाई के भतीजे गोविंदसिंह सगर ने बताया कि छह दिन से कोई इलाज नहीं किया जा रहा था। जब डॉक्टर राउंड पर आता, तब एक इंजेक्शन लगा देते, दिन में एक स्लाइन चढ़ा देते। घायल का एक्सरे भी हुआ, लेकिन उसमें क्या रहा किसी डॉक्टर ने नहीं बताया। दिनभर में भी कोई बड़ा डॉक्टर देखने नहीं आता था। मंगलवार को बोला कि बुआजी ठीक है, छुट्टी कराकर घर ले जाओ, जबकि वह दर्द से तड़प रही थी। हम बिना डिस्चार्ज कराए निजी अस्पताल ले आए।
मंगलवार को परिजन घायल महिला को मेडिकल कॉलेज अस्पताल से निजी अस्पताल ले गए। यहां जांच में पता चला कि वृद्धा की जांघ की हड्डी के पास दो फ्रैक्चर है। जांच के बाद महिला का इलाज शुरू हुआ। वृद्धा का हीमोग्लोबिन भी कम था, जिसके चलते दो यूनिट ब्लड भी यहां चढ़ाया गया। परिजन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया।
जिला अस्पताल में सिविल सर्जन, अधीक्षक का कार्यालय भी है, ऐसा कुछ था तो सीधे हमसे शिकायत करते, हम इलाज करवाते। मरीज की फाइल देखकर, किस डॉक्टर ने इलाज किया है, उसकी जांच की जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
डॉ. रंजीत बड़ोले, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल