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दो प्रमुख पार्टियों के अलावा तीसरा प्रत्याशी नहीं पहुंचा लोकसभा, दावेदारी तक सीमित रही महिलाएं, नहीं बन पाई सांसद

लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार थमने के बाद अब मतदाता घर-घर जाकर वोट की मनुहार कर रहे हैं। वहीं पार्टी पदाधिकारी बूथ लेवल पर फोकस कर रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो अब तक कांग्रेस और भाजपा का ही वर्चस्व रहा। इनके अलावा तीसरी पार्टी या निर्दलीय प्रत्याशी पहचान नहीं बना पाया। अधिकांश प्रत्याशी तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। यही नहीं अब तक एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई। सिर्फ दावेदारी तक ही महिलाएं सीमित रही।

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खरगोन

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Amit Bhatore

May 12, 2024

khargone

खरगोन. लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार थमने के बाद अब मतदाता घर-घर जाकर वोट की मनुहार कर रहे हैं। वहीं पार्टी पदाधिकारी बूथ लेवल पर फोकस कर रहे हैं। लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो अब तक कांग्रेस और भाजपा का ही वर्चस्व रहा। इनके अलावा तीसरी पार्टी या निर्दलीय प्रत्याशी पहचान नहीं बना पाया। अधिकांश प्रत्याशी तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। यही नहीं अब तक एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई। सिर्फ दावेदारी तक ही महिलाएं सीमित रही। सपा, जनसंघ, जनता पार्टी के बाद भारतीय जनता पार्टी बनने तक प्रत्याशी मैदान में उतरे। इधर, कांग्रेस ने भी तमाम दिग्गजों को मौका दिया। दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों का राजतिलक कर जनता ने लोकसभा में भेजा। इस बार लोकसभा में भाजपा से गजेंद्रसिंह पटेल, कांग्रेस से पोरलाल खरते, बसपा से शोभाराम डावर, सीपीआई से देवीसिंह नरगावे व निर्दलीय नरसिंह सोलंकी मैदान में हैं।

अब तक नहीं बनी कोई भी महिला सांसद

खरगोन-बड़वानी लोकसभा क्षेत्र में अब तक कोई भी महिला सांसद ने प्रतिनिधित्व नहीं किया। हालांकि महिलाअों ने दावेदारी कर चुनाव भी लड़े। परंतु प्रमुख पार्टियों ने मौका नहीं दिया। इस बार भी एक भी महिला उम्मीदवार मैदान में नहीं है। जबकि लगभग आधी आबादी के साथ महिलाओं भी इस लोकसभा क्षेत्र में वर्चस्व रहा है। लोकसभा चुनाव में महिला प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर कही ना कही महिलाओं में नाराजगी भी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सीपीआई से ज्योति गोरे ने चुनाव लड़ा। परंतु वे 20673 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।

1996 में सर्वाधिक 32 उम्मीदवार थे मैदान में

लोकसभा सीट का इतिहास रोचक रहा है। वर्ष 1952 में इस सीट को निमाड़ के नाम से जाना जाता था। पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में दो प्रत्याशी मैदान में थे। जबकि 1996 में सर्वाधिक 32 उम्मीदवार मैदान में थे। वर्ष 1952 से अब तक 18 बार चुनाव हुए है। इनमें एक उपचुनाव भी शामिल है। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में 2, 1957 में 3, 1962 में 3, 1967 में 4, 1971 में 3, 1977 में 7, 1980 में 4, 1984 में 7, 1989 में 11, 1991 में 11, 1996 में 32, 1998 में 9, 1999 में 6, 2004 में 10, 2007 उपचुनाव में 11, 2009 में 11 और 2014 के लाेकसभा चुनाव में 8 व 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 7 प्रत्याशी मैदान में थे।

लोकसभा में 1957 से 2019 तक तीन प्रमुख प्रत्याशी

वर्ष 1957 में कांग्रेस के रामसिंह वर्मा को 73180 वोट मिले, दूसरे नंबर पर जनसंघ के रामचंद्र बडे को 62553 वोट मिले, तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी मांगीलाल कायरे को 18505 वोट मिले।

वर्ष 1962 में जनसंघ के रामचंद्र बडे को 105386, कांग्रेस के कन्हैयालाल खादीवाला को 69472, एसओसी के छोगालाल गंगाराम को 23432 वोट मिले।

वर्ष 1967 में कांग्रेस के शशिभूषण वाजपेयी को 113236, जनसंघ के रामचंद्र बडे को 104072, निर्दलीय एन रूपा को 13609 वोट मिले।

वर्ष 1971 में जनसंघ के रामचंद्र बडे को 143005, कांग्रेस के अमाेलकचंद छाजेड़ को 107384, निर्दलीय शबीर गोलू को 8163 वोट मिले

वर्ष 1977 में जनता पार्टी के रामेश्वर पाटीदार को 163834, कांग्रेस के सुभाष यादव को 127976, निर्दलीय रजनीकांत हरसौला को 12487 वोट मिले।

वर्ष 1980 में कांग्रेस के सुभाष यादव को 182764, जनता पार्टी के रामेश्वर पाटीदार को 133978, जेएनपी के एसके रतनसिंह को 20604 वोट मिले।

वर्ष 1984 में कांग्रेस के सुभाष यादव को 229669, भाजपा के रामेश्वर पाटीदार को 162467, निर्दलीय मोहम्मद रजाक को 10935 वोट मिले।

वर्ष 1989 में भाजपा के रामेश्वर पाटीदार को 251069, कांग्रेस के सुभाष यादव को 210171, डीडीपी के श्याम पटेल को 11427 वोट मिले।

वर्ष 1991 में भाजपा के रामेश्वर पाटीदार को 220679, कांग्रेस के सुभाष यादव को 206884, जेपी के महेंद्र वैष्णव को 4924 वोट मिले।

वर्ष 1996 में भाजपा के रामेश्वर पाटीदार को 286549, कांग्रेस के बोंदरसिंह मंडलोई को 241342, एआईआईसी के राजेंद्रसिंह चौहान को 9099 वोट मिले।

वर्ष 1998 में भाजपा के रामेश्वर पाटीदार को 311394, कांग्रेस के बोंदरसिंह मंडलोई को 290715, जेडी के अनिल त्रिवेदी को 20553 वोट मिले।

वर्ष 1999 में कांग्रेस के ताराचंद पटेल को 354133, भाजपा के बालकृष्ण पाटीदार को 315987, बसपा के भगवान बड़ोले को 9268 वोट मिले।

वर्ष 2004 में भाजपा के कृष्णमुरारी मोघे को 321762, कांग्रेस के ताराचंद पटेल को 263145, सपा के काशीराम यादव को 17996 वोट मिले।

वर्ष 2009 में भाजपा के मकनसिंह सोलंकी को 351296, कांग्रेस के बाला बच्चन को 317121, सीपीआई के किरणसिंह बड़ोले को 31905 वोट मिले।

वर्ष 2014 में भाजपा के सुभाष पटेल को 649354, कांग्रेस के रमेश पटेल को 391475, आम अादमी पार्टी के कैलाश अवास्या को 31222 वोट मिले।

वर्ष 2019 में भाजपा के गजेंद्र पटेल को 773550, कांग्रेस के डॉ. गोविंद मुजाल्दा को 571040, सीपीआई की ज्योति गोरे को 20673 वोट मिले।