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मां का ऐसा अनोखा दरबार जहां पुरुष करते हैं गरबा, महिलाएं होती हैं दर्शक

MP News: इस माता मंदिर में नवरात्र में पुरुष ही गरबा करते हैं, हाथों से ताली बजाकर आराधना करते हैं, जबकि महिलाएं दर्शक बनकर इस 150 साल पुरानी परंपरा का आनंद लेती हैं।

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खरगोन

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Akash Dewani

Sep 22, 2025

baki mata temple navratri garba dance tradition khargone mp news

baki mata temple navratri garba dance tradition khargone (फोटो- सोशल मीडिया)

Shardiya Navratri: नवरात्र पर्व में आमतौर में गरबा पंडालों में महिलाएं गरबा नृत्य कर माता की उपासना करती है। खरगोन में बाकी माता मंदिर ऐसा है जहां सिर्फ पुरुष गरबा करते है और महिलाएं दर्शक दीर्घा में बैठी रहती है। खास बात यह कि यहां पर पुरुष डांडिया नहीं बल्कि हाथों से ताली बजाते हुए गरबा करता है।

बाकी माता मंदिर (Baki Mata Temple) में नवरात्र में आरती के पहले रोजाना पुरुषों द्वारा सात गरबे की परंपरा चली आ रही है। इस दौरान माता के चबूतरे की पूरी परिक्रमा की जाती है। पास बैठकर महिलाएं गरबे को स्वर देती हैं। (MP News)

150 साल पुरानी है परंपरा

यह सात गरबा करने की परंपरा (Garba Dance Tradition) लगभग 150 साल से निभाई जा रही है। मंदिर में पुरुषों के गरबा करने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पुराने समय में महिलाएं बड़ा सा घूंघट रखती थी। बुजुर्गा के सामने लाज रखती थीं। इस वजह से वे पुरुषों के साथ गरबों में शामिल होने से कतराती थीं। (MP News)

यह परंपरा भी

  • गीले कपड़े में पूजन: प्रतिमाएं जिस कुएं से निकली थीं, नवरात्र के दौरान श्रद्धालु तड़के 5 बजे से उसी कुएं में स्नान करने आते हैं। गीले कपड़े पहनकर ही माता को जल अर्पित करते हैं। इसी जल को चरणामृत के रूप में लेते हैं।
  • स्पेशल पान का बौड़ा: नवरात्र में माता को रोजाना विशेष रूप से पान के बीड़े और ज्वार की धानी का भोग लगाया जाता है। पान के बीड़े में दालचीनी, जायफल, लौंग, इलायची, जावित्री, मिश्री, पिपरमेंट और जेष्ठिमा का उपयोग होता है। उपवास न करने वाले श्रद्धालुओं को ज्वार की धानी व प्रसाद दिया जाता है।

नवरात्र में यह आयोजन

नवरात्रि के दौरान मंदिर में रोजाना रात्रि में पुरुषों ‌द्वारा गाए जाने वाले गरबों, आरती के बाद रात्रि 10 बजे से श्रीदत्त भजन, सूक्तम पाठ, सुंदर कांड, खप्पर गरबी, महिन स्तोत्र पाठ, हनुमान चालीसा, भजन सहित अन्य धार्मिक कार्यक्त्रस्म होंगे। मंदिर प्रातः 4 बजे खुलेगा। रात्रि 12 बजे मंगल होगा। सुबह 7 बजे सभी देवियों का अभिषेक के बाद श्रृंगार होगा। झिरे (कुएं) में स्नान का समय सुबह 9 बजे तक होगा।

एक ही चबूतरे पर नौ देवियां विराजित

मंदिर में एक ही चबूतरे पर नौ देवियां विराजित है। इसमें ब्रह्माजी की शक्ति ब्राह्मी, भगवान महेश की शक्ति माहेश्वरी, भगवान विष्णु की शक्ति वैष्णवी, कुमार कार्तिक की शक्ति कौमारी, भगवान इंद्र की शक्ति इंद्राणी, भगवान वराह की शक्ति वाराही व स्व प्रकाशित मां चामुण्डा के साथ ही महालक्ष्मी, सरस्वती व शीतला, बोदरी खोखरी माता प्रतिष्ठित हैं।

इसके अलावा भगवान महाबलेश्वर, अष्ट भैरव, हनुमानजी भी विराजित हैं। पुजारी रामकृष्ण भट्ट ने बताया विराजित माता की पिंडिया कुएं से निकाली गई हैं। मंदिर के संस्थापक भटाम भट्ट दादा को देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए। बताया- हम घर के बाहर झिरे में हैं। भटाम भट्ट दादा ने कुएं से मूर्तियों को निकाल कर पीपल की ओट से स्थापित कर पूजन शुरु कर दिया। (MP News)