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32 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई में पल-पल मौत का खतरा पर डरे नहीं ये भक्त

यात्रा में रोमांच और जोखिम भरा सफर पूरा करने के बाद होते हैं महादेव के दर्शन,  

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जोखिम भरा सफर पूरा करने के बाद होते हैं महादेव के दर्शन

खरगोन. श्रीखंड महादेव यात्रा विश्व की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार है। रोमांच से भरी इस यात्रा में श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को बेहद मुश्किल और जोखिम भरी 32 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चलनी पड़ती है। यहां हर पल मौत का खतरा बना रहता है। हाल ही में मंडलेश्वर के एक युवक की मौत भी वहां हो चुकी है। इसके बाद भी शिवभक्त भला कहां मानने वाले हैं! यात्रा में आने वाले जोखिम को पारकर महादेव के दर्शन कर लौटे खरगोन के श्रद्धालुओं ने वहां के अनुभव साझा किए।

चमेली की बाड़ी निवासी कैलाशी सारंग मंडलोई तीसरी कैलाश श्रीखंड महादेव के दर्शन कर लौटे। उनके साथ बड़वानी राजपुर के कैलाशी विपिन सुगंधी और हरीश गुप्ता इंदौर थे। तीनों शिव भक्तों के सकुशल लौटने पर स्वागत हुआ।

सारंग ने बताया इस यात्रा में शरीर का खंड खंड हो जाता हैं, इसी कारण श्रीखंड महादेव यात्रा कहलाती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए इस स्थान पर रुके थे। यहीं पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का वध किया था। यहां की मिट्टी और पानी का रंग आसपास की जगह से बदलता हुआ मिलता हैं।

इसके पूर्व सारंग कैलाश मानसरोवर, मणि महेश, कटासराज पाकिस्तान, चार धाम एवं सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर चुके हैं। वर्तमान में वे इंदौर की एक कंपनी में कार्यरत है।

संकरे रास्तों व बर्फ के ग्लेशियरों को पार करना रोमांच से भरा
यात्रियों ने बताया श्रद्धालुओं को संकरे रास्तों में कई बर्फ के ग्लेशियरों को भी पार करना होता है। ऊंचाई वाले कई ऐसे स्थल हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी का श्रद्धालुओं को सामना करना पड़ता है। पार्वती बाग से आगे कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कुछ श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन की कमी के चलते भारी दिक्कतें होती हैं। यदि ऐसी स्थिति में ऐसे श्रद्धालुओं को समय रहते उपचार या वापस नीचे नहीं उतारा जाता है तो श्रद्धालुओं के लिए खतरा बन जाता है। यात्रा के लिए पांच बेस कैंप बनाए हैं।

ऐसा है यात्रा का रोमांच
यात्रियों ने बताया हिमाचल की गोद में श्री खंड महादेव का प्राकृतिक शिवलिंग 72 फीट ऊंचा है। समुद्र तल से 18570 फीट ऊचाई पर बर्फ के पहाड़ों पर माइनस टेम्परेचर पर स्थित हैं।इस यात्रा में खड़ी चढ़ाई लगभग 35 किमी की अत्यंत कठिन है। यहां आक्सीजन की कमी रहती हैं। ऊपर भगवान गणेश, पार्वत और कार्तिक के रूप के बड़ा प्रतिरूप के दर्शन करते हुए पार्वती कुण्ड के दर्शन करते हैं और अन्त मे प्राकृतिक श्रीखंड कैलाश के दर्शन होते हैं।