31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देवी अहिल्या यात्रा के समय करती थी ऐतिहासिक गढ़ी का उपयोग, संरक्षण की दरकार

ग्राम में ऐतिहासिक गढ़ी की ग्रामीण कर रहे देखरेख

2 min read
Google source verification

खरगोन

image

Amit Bhatore

Feb 06, 2024

देवी अहिल्या यात्रा के समय करती थी ऐतिहासिक गढ़ी का उपयोग, संरक्षण की दरकार

देवी अहिल्या यात्रा के समय करती थी ऐतिहासिक गढ़ी का उपयोग, संरक्षण की दरकार

देवी अहिल्या यात्रा के समय करती थी ऐतिहासिक गढ़ी का उपयोग, संरक्षण की दरकार

-ग्राम में ऐतिहासिक गढ़ी की ग्रामीण कर रहे देखरेख


खरगोन. महेश्वर क्षेत्र के ग्राम सोमाखेड़ी में देवी अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल में उपयोग की जाने वाली गढ़ी (किला) की देखरेख और रखरखाव गांव के लोगों द्वारा की जा रही है। इसके लिए ग्रामीणों ने एक समिति बनाई जो व्यवस्था का संचालन करती है। इस गढ़ी का वर्तमान समय मे मांगलिक कार्यों में उपयोग किया जा रहा है। ग्राम के वरिष्ठ नागरिक शंकर पाटीदार ने बताया कि हमने अपने बुजुर्गों से इस गढ़ी के बारे में सुना है। यहां होल्कर राज्य की महारानी अहिल्याबाई होल्कर इंदौर से लौटते समय विश्राम करती थी। इस छोटे से महत्वपूर्ण दुर्ग में प्रवेश द्वार के उपर बने कमरों में देवी अहिल्याबाई विश्राम करती थी और उनके कर्मचारी व सैनिक नीचे के कमरों में रुकते थे। जबकि उनके लश्कर के रुकने के लिये एक घुडसाल भी थी। जहां सैनिक रुकते थे और उनके घोड़ों के लिए घुडसाल की व्यवस्था थी। वर्तमान में गांव वाले इसकी सुरक्षा व रखरखाव कर रहे हैं। यहां अंदर बड़ा मैदान होने से गांव का कोई भी बड़ा मांगलिक आयोजन किया जाता है। यहां रसोईघर के साथ सुविधा गृह भी है। इसकी मरम्मत की जरूरत है।

सामरिक महत्व की है गढ़ी

ग्राम सोमाखेड़ी मालव से निमाड में प्रवेश करने पर इंदौर-महेश्वर राजमार्ग पर बड़ा और महत्वपूर्ण गांव रहा है। इसलिए सामरिक दृष्टि से इस गढ़ का निर्माण किया गया था। इतिहास के जानकार दुर्गेश कुमार राजदीप ने बताया कि वर्तमान में जाम घाट से चित्तौड़गढ़ भुसावल राजमार्ग गुजरता है। जो सोमाखेड़ी के बाहर से जा रहा है। इसके पूर्व जो प्राचीन राजमार्ग था वह जामघाट से नीचे बागदरा होकर सोमाखेड़ी, चोली, बाराद्वारी (ठनगांव), रामकुंड (खारिया) होकर महेश्वर को जोड़ता था। यह होलकरों का राजमार्ग था जो महेश्वर को इंदौर से जोड़ता था। यह मार्ग लगभग ढाई हजार साल पुराना उज्जैनी पैठण मार्ग का भी हिस्सा था। इस पर ग्राम जाम में दरवाजे का निर्माण देवी अहिल्या द्वारा कराया गया था। घाट से नीचे उतरने पर पीरपानी क्षेत्र में एक धर्मशाला के खंडहर मौजूद है। जहां नजदीक ही एक हनुमान मंदिर भी हैं। ग्रामीणों ने सरकार से संरक्षण की मांग की है।