
खरगोन जामगेट अब राज्य संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित हुआ है।
खरगोन.
निमाड़ और मालवा को सीधा जोडऩे वाले महू-मंडलेश्वर मार्ग के बीच बने जामगेट को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया है। यह स्थान बारिश में सैलोनियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है। विध्यांचल की सुरम्य वादियों में बने आहिल्या कालीन इस दरवाजे तक पहुंचने के लिए सर्पिली आकार की सडक़ों का आनंद सफारी ट्रेवल्स से कम नहीं रहता। राज्य संरक्षित स्मारक घोषित होने के बाद यह दरवाजा राज्य पुरातत्व संग्रहालय के तहत रहेगा।
इसके लिए बीट बागदरा आरक्षित वन क्षेत्र कक्ष क्रमांक 57 की 0.040 हेक्टेयर भूमि अधीन की गई है। उपलब्धि के बाद इस क्षेत्र के डेवपमेंट का रास्ता भी साफ हो गया है। राज्य शासन ने मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम के अंतर्गत यह कार्रवाई की है। इंदौर व खरगोन को जोडऩे वाला जाम गेट का रास्ता वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। यहां पर्यटक बारिश व सर्दी के दिनों में विंध्याचल पर्वतमाला व प्रकृति के सौंदर्य का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। राज्य शासन अब अपने स्तर पर इस क्षेत्र को विकसित करेगा।
होलकर काल में सैन्य गतिविधि केंद्र रहा
जाम गेट देवी अहिल्याबाई होलकर ने अपने शासनकाल में बनवाया था। वे इस मार्ग का उपयोग महेश्वर से इंदौर जाने के लिए करती थीं। महेश्वर और इंदौर आने जाने वाले सबसे कम दुरी के रास्ते के बीच में पहाड़ी के मुहाने पर यह गेट इस तरह बनाया गया था कि रास्ते के दोनों तरफ नजर रखी जा सके। जो अब भी बहुत अच्छी स्थिति में है। इतिहास में इस दरवाजे का खास महत्व मिलता है। यहीं से सेनाओं का आना-जाना होता था और इसे एक चेक पॉइंट के तौर पर बनाया गया था। इस गेट पर खड़े होकर सैनिक निमाड़ में पहाड़ी की तराई में होने वाली हलचल पर आसानी से नजर रख सकते थे।
Published on:
13 Feb 2024 11:12 am
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