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खेत में काम करते-करते बेटे ने कर लिया टॉप, बता दिए भविष्य के इरादे, देखें VIDEO

- मेरिट में पाया 6वां स्थान- 500 में से 474 अंक हासिल किए

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मप्र की 12वीं बोर्ड परीक्षा का एक माह से चला आ रहा इंतजार गुरुवार को 12.30 बजे खत्म हो गया, कारण आज ही यानि गुरुवार रिजल्ट घोषित हो गया। माध्यमिक शिक्षा मंडल (mpbse) ने 12वीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित कर दिया है। ऐसे में इस बार 12वीं के रिजल्ट का प्रतिशत जहां 55.28 प्रतिशत ही रहा। वहीं खेत में काम करते-करते एक किसान के बेटे ने टॉप कर लिया।

दरअसल 12वीं बोर्ड के कॉमर्स संकाय में खरगोन जिले के एक किसान के पुत्र जितेंद्र कुशवाह ने अपनी मेहनत के दम पर मेरिट लिस्ट में 6वां स्थान प्राप्त किया है। इनके पिता महज साढ़े पांच एकड़ जमीन के किसान हैं ऐसे में घर में सुविधाओं का अभाव होने के चलते खेत में पिता की मदद करने के साथ ही अपनी लगन व मेहनत के द्वारा जिंतेंद्र ने मेरिट में अपना स्थान बनाते हुए 94.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं।

मेरिट लिस्ट में नाम आने का ये है कारण
12वीं बोर्ड के कॉमर्स संकाय में जितेंद्र कुशवाह ने 500 में से 474 अंक हासिल किए हैं। इसके साथ ही साथ ही सभी विषयों में डिस्टिंक्शन भी प्राप्त की है। उनकी इस सफलता से न केवल वे बल्कि उनके माता पिता व दादा दादी भी अत्यंत प्रसन्न हैं। उनके घर पर बधाई देने वाले लगातार आ रहे हैं।

महज साढ़े पांच एकड़ जमीन
पत्रिका से बातचीत करते हुए जितेंद्र कुशवाह ने कहा कि वे अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता मुकेश कुशवाह को व उनकी मेहनत को देते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता एक किसान हैं, जिनके पास महज साढ़े पांच एकड़ जमीन है और वे परिवार को पालने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं। इसके साथ ही सफलता का दूसरा कारण उनकी ओर से खुद की मेहनत को बताया गया। इनके परिवार में माता, पिता, दादा-दादी ओर एक छोटा भाई भी है। इनकी माता एक गृहणी हैं।

सिविल सर्विसेस में जाना चाहती
जितेंद्र ने जहां अपने रिजल्ट से खरगोन का नाम रोशन किया है। तो वहीं पत्रिका रिपोर्टर ने जब जितेंद्र से भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि उनकी भविष्य की प्लानिंग सीविल सर्विस में जाने की है। जितेंद्र के अनुसार वे रोजाना 2 घंटे पूरी तरह से मन लगाकर पढ़ाई करता था।

पिता का हाथ भी बंटाता है जितेंद्र
खास बात ये है कि जितेंद्र जहां एक ओर पढाई को अच्छा खासा समय देता है, वहीं खेत मे पिता का हाथ भी बंटाता है। उसका कहना है कि वह इसके लिए अपना कुछ समय निकाल लेता है। जहां दोस्त खेलने को शारीरिक वर्जिश के रूप में लेते हैं तो वहीं वह इस समय का खेतों में उपयोग कर इसे अपनी एक्सर्साइज के रूप में लेता है। वहीं जितंद्र का घर स्कूल से करीब 17 किलोमीटर दूर है, ऐसे में वह हर रोज इतनी दूर से स्कूल आता व पुनरू घर तक जाता है। वहीं घर में पर्याप्त सुविधओं के अभाव के बावजूद वह अपनी मेहनत से जुटा रहता है।

वहीं पूर्व में जितेंद्र को खेत में मेहनत करते देखने वाले लोगों का यहां तक कहना है कि उसके द्वारा खेत में जिस लगन के साथ काम किया जाता था, उसे देखकर ही लोग पहले से ही ये अनुमान लगाने लगे थे कि यह पढ़ाई में भी काफी आगे जाएगा। कारण यह था कि वह सचमुच अपने हर कार्य को पूरी मेहनत के साथ ही पूरा ध्यान देते हुए करता है।