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मृतकों के नाम पर ले रहे थे राशन, अब हटाए जा रहे 15 हजार फर्जी लाभार्थी

ration shops: कई ऐसे लाभार्थी जो या तो दिवंगत हो चुके थे या शादी के बाद अन्यत्र बस गए थे, उनके नाम पर भी राशन उठाया जा रहा था। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अपात्र लाभार्थियों के नाम हटाने की मुहिम तेज कर दी है।

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खरगोन

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Akash Dewani

Apr 03, 2025

Ration was being lifted in the name of many beneficiaries who had died year ago in khargone ration shops

ration shops: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत नागरिकों को राशन वितरित किया जा रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया में वर्षों से एक बड़ा घोटाला चल रहा था। कई ऐसे लाभार्थी जो या तो दिवंगत हो चुके थे या शादी के बाद अन्यत्र बस गए थे, उनके नाम पर भी राशन उठाया जा रहा था। अब खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने इस गड़बड़ी पर लगाम कसने के लिए अपात्र लाभार्थियों के नाम हटाने की मुहिम तेज कर दी है।

15 हजार फर्जी नाम हटाए, कार्रवाई जारी

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अब तक करीब 15 हजार फर्जी सदस्यों के नाम सूची से हटा दिए हैं। इस कार्रवाई के बाद पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। पिछले दिनों कलेक्टर भव्या मितल ने भी इस पर सख्ती दिखाई थी और अब विभाग ने ई-केवाईसी और सर्वे को गति दे दी है।

81 प्रतिशत ई-केवाईसी पूरा

ई-केवाईसी की प्रक्रिया के तहत 81 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन नागरिकों की शिकायत है कि पिछले छह महीनों से नए नाम जोड़े नहीं जा रहे हैं। इससे गरीब और जरूरतमंद लोग अब भी राशन के लिए इंतजार कर रहे हैं। जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी भारतसिंह जमरे ने बताया कि जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और जिले के 15 लाख 55 हजार नागरिकों को पात्रता पर्ची और अंत्योदय राशन कार्ड के माध्यम से खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी।

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फ्री राशन का गणित

सरकार की योजना के तहत पात्रता पर्ची धारकों को प्रति सदस्य 2 किलो गेहूं, 3 किलो चावल और 1 रुपए किलो नमक निशुल्क मिल रहा है। वहीं, अंत्योदय कार्ड धारकों को 14 किलो गेहूं और 21 किलो चावल हर महीने मुफ्त दिया जा रहा है। जिले में 3 लाख से अधिक परिवार इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।

अब गड़बड़ी नहीं, पात्रों को ही मिलेगा राशन

सरकारी राशन योजनाओं में गड़बड़ी की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं, लेकिन प्रशासन की इस सख्ती के बाद अब अपात्र लोगों के नाम हटाकर वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है। सवाल यह है कि क्या भविष्य में भी इस तरह की अनियमितताओं पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी, या फिर यह मुहिम सिर्फ एक दिखावटी कार्रवाई बनकर रह जाएगी?