
रेंज में 700 हेक्टेयर में फैला जूली फ्लोरा
किशनगढ़ के क्षेत्रीय वन अधिकारी कार्यालय के अन्तर्गत आने वाली रेंज में वन विभाग की ओर से गत दिनों सर्वे किया गया। इसके तहत रेंज में करीब 700 हेक्टेयर में विलायती बबूल उगा हुआ है। कंटिली झाड़ी का पेड होने के कारण इसका उपयोग कोयले बनाने के काम आता है। उल्लेखनीय है कि इससे हो रहे नुकसान को देखते हुए कुछ माह पहले हुई संभाग स्तरीय बैठक में विलायती बबूल को हटाकर फलदार, फूलदार और अन्य वनस्पति के पौधे लगाने की बात कही थी। इसी के तहत वन विभाग की ओर से कवायद की गई है। अब आचार संहिता के बाद उक्त कार्य में तेजी आने की उमीद की जा रही है।
यह है जूली फ्लोरा
विलायती बबूल का वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस जूली फ्लोरा है। यह मूलरूप से दक्षिण और मध्य अमेरिका तथा कैरीबियाई देशों मे पाया जाता था। 1870 में इसे भारत लाया गया।
यह है नुकसान
विलायती बबूल जहां होता है उसके आस-पास कुछ नहीं उगता है। यह बहुत कम कार्बनडाइ आक्साइड गैस सोखता है। इसमें किसी तरह के वन्य पशु-पक्षी निवास नहीं कर सकते है। लकड़ी फर्नीचर के काम में भी नहीं आती है और यह घास को भी पनपने नहीं देता है।
यहां उगा है जूली फ्लोरा
वन विभाग के अनुसार सरगांव के वन क्षेत्र में 250 हेक्टेयर में, डींडवाड़ामें 130 हेक्टेयर, बांदरसिंदरी में 180, जोधावाला में 20, मियावाली में 20, बरना में 100 हेक्टेयर में जूल फ्लोरा उगा हुआ है।
इनका कहना है...
किशनगढ़ रेंज के वन क्षेत्र में उगे विलायती बबूल के संबंध में सर्वे कराया गया।करीब 700 हेक्टेयर में जूली फ्लोरा उगा हुआ है।
- अमरसिंह चौधरी, क्षेत्रीय वन अधिकारी वन विभाग किशनगढ़।
Published on:
15 May 2019 11:04 am
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