
परिश्रम से धन अर्जन मारवाड़ी का मूलभूत सिद्धान्त
कोलकाता. कमाकर खाना और परिश्रम के बलबूते लक्ष्मी का अर्जन करना मारवाड़ी समुदाय का मूलभूत सिद्धान्त है, और इसकी पहली घूंट मां शैशव अवस्था में ही बच्चे को पिला देती है। उक्त कथन हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र लाहोटी का। वे अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से कलामंदिर में आयोजित होली प्रीति मिलन सह सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मारवाड़ी एक ऐसी जाति है जो मार्ग में आए हुए पत्थरों से टकराकर लडख़ड़ाता नहीं है बल्कि उन पत्थरों को सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ता है। उन्होंने युवा पीढ़ी के साथ बढ़ती खाई को भरने के लिए संवाद करने को कहा है। लाहोटी ने कहा कि जो अपने बच्चों को संस्कार नहीं देते वहां संस्कार खत्म हो जाता है। न्यायमूर्ति के प्रेरणादायक वक्तव्य के समापन के बाद सभागार में आए लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाते उनका अभिनन्दन किया। मौके पर उन्हें सम्मेलन का सर्वोच्च राजस्थानी व्यक्तित्व सम्मान भी प्रदान किया गया। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नन्दलाल रुंगटा ने माला एवं श्रीफल, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हरिप्रसाद कानोडिय़ा ने शॉल एवं पगड़ी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रामअवतार पोद्दार ने एक लाख की सम्मान राशि का चेक तथा निर्वतमान राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रह्लादराय अगरवाला ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। सम्मान के पश्चात सम्मान राशि के चेक को न्यायमूर्ति ने जनकल्याणकारी कार्यों में लगाने हेतु सम्मेलन को पुन: समर्पित कर दिया। इसके पूर्व लाहोटी का संक्षिप्त परिचय अधिवक्ता नन्दलाल सिंघानिया ने दिया। न्यायमूर्ति की धर्मपत्नी कौशल्या देवी लाहोटी का सम्मान प्रभा देवी सराफ ने किया। लाहोटी के हाथों दीप प्रज्जवलन के साथ समारोह का शुभारम्भ हुआ। राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सराफ ने स्वागत वक्तव्य देते हुए मांगलिक अवसरों पर अपव्यय को रोकना तथा निमंत्रण पत्र के स्थान पर ई-कार्ड को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने पुलवामा में शहीद हुए जवानों का जिक्र करते हुए कहा कि सम्मेलन ने पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का व्यापार न करने का प्रस्ताव पारित किया है जिसका सबको इसका पालन करना चाहिए। मुख्य वक्ता सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि हमारे समाज के लिए यह गर्व की बात है कि लाहोटी समाज के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इससे हमारे समाज का नाम रोशन हुआ है। उनका सम्मान समाज का सम्मान है। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का सफल संचालन राष्ट्रीय महामंत्री श्रीगोपाल झुनझुनवाला ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दिया राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष कैलाशपति तोदी ने। दूसरे सत्र का संचालन करते हुए राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री संजय हरलालका ने कवियों का परिचय उनकी ही रचनाओं के माध्यम से दिया। अतिथियों का सम्मान फाईनेन्स कमेटी के चेयरमैन आत्माराम सोन्थलिया, राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोपाल अग्रवाल आदि ने किया। राजस्थान के भीलवाड़ा से आए कैलाश मंडेला ने पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राईक को लेकर अपनी रचना सुनाई- तेरे ठसके जवर, तु है मेरे बब्बर, राग भारत की गाई, मजा आ गया। आँख उसको दिखाई मेरे शेर ने, पूँछ उसने दबाई मजा आ गया। लखनऊ से आए वीर रस के कवि प्रख्यात मिश्रा ने सैनिकों की शहादत को यह कहकर सलाम किया कि बोटी-बोटी कट जाऊँ या इंच-इंच बंट जाऊँ, या तो तिरंगे को लपेट घर आऊँगा या फिर तिरंगा सीमा पार लहराऊँगा। लखनऊ से ही पधारी गीतकार डॉ. समुन दुबे ने अपने गीतों से समूचे वातावरण को एक नया रंग दिया। थोड़ी तकरार, थोड़ा प्यार लेकर आई हूँ। अंखियों में सपने हजार लेके आई हूँ। कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए पद्मश्री से सम्मानित कवि सुनील जोगी ने पाकिस्तान को इस तरह ललकारा- पुलवामा पर हमला करके, पीठ में खंजर घोंप दिया, हम भी ठहरे हिन्दुस्तानी, घर में घुसकर ठोक दिया, अब हर आतंकी की गर्दन पर हमरी सेना का पंजा हो, जो भी घाटी में रहते हैं, सबके हाथ तिरंगा हो। कार्यक्रम में डॉ. जुगल किशोर सराफ, हरि प्रसाद बुधिया, आनन्द अग्रवाल, सज्जन भजनका, रतन शाह, भानीराम सुरेका, शिव कुमार लोहिया, चम्पालाल सरावगी, सम्पतमल बच्छावत, मुरारीलाल खेतान सहित भारी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।
Published on:
11 Mar 2019 02:16 pm
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