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Charity in West Bengal: खिलौना चाहिए तो मिलें इस शख्स से

मूल रूप से Rajasthan के चूरू निवासी प्रवासी राजस्थानी व्यवसायी Vikas Kumar Lakhotia के पुत्र Aryaman lakhotia खिलौनावाला बन गए हैं।

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Charity in West Bengal: मिलें उस शख्स से जो हजारों बच्चों के लिए यह बना

कोलकाता. खिलौना किसको प्रिय नहीं होता है। खासकर बच्चों के लिए तो खिलौना सबकुछ होता है। कभी कभी बच्चे किसी खास खिलौने के लिए जिद कर बैठते हैं। भरे बाजार में ठान लेते हैं कि उन्हें यही खिलौना चाहिए, सम्पन्न मां-बाप तो अपने बच्चे की जिद पूरी कर लेते हैं, पर गरीब लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में मूल रूप से राजस्थान के चूरू निवासी प्रवासी राजस्थानी व्यवसायी विकास कुमार लाखोटिया के पुत्र आर्यमान लाखोटिया खिलौनावाला बन गए हैं। उन्होंने हर उस बच्चे के हाथ में खिलौना देने को ठानी है जो खिलौने खरीद नहीं सकते हैं। सामाजिक सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों महिला-बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और अन्य हस्तियों की मौजूदगी में राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित आर्यमान यह चैरिटी कर रहे हैं। १७ वर्षीय आर्यमान ने 4 साल पहले स्थापित ...ट्वॉय ज्वॉय चैरिटेबल ट्रस्ट से कोलकाता के हजारों वैसे जरूरतमंद बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाकर उनके लिए उम्मीद की किरण लाई, जो खिलौने से वंचित थे और जिनके परिजन खिलौने नहीं खरीद सकते। आज वह देशभर के उन जरूरतमंद बच्चों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। सेंट जेम्स स्कूल से क्लास 12 में इसी साल ९४ फीसदी अंकों से सफल छात्र आर्यमान १५ अगस्त को उच्च शिक्षा के लिए अमरीका के हार्वड रवाना होंगे। विद्या मंदिर में पिछले दिनों माहेश्वरी समाज के एक कार्यक्रम में आर्यमान ने बताया कि .ट्वॉय ज्वॉय चैरिटेबल ट्रस्ट के गठन के पीछे उसका मकसद यह था कि हर बच्चे के पास खुद का खिलौना हो।

घर पर ही ट्रस्ट बनाया

उसने अपने घर पर ही यह ट्रस्ट बनाया और पुराने-नए खिलौने जुटाकर जरूरतमंद बच्चों को फ्री बांटा। आज कतर/दोहा के अलावा भारत के 7 शहरों में उसका ट्रस्ट चल रहा है। ट्वॉय ज्वॉय का फेसबुक पेज भी है। आर्यमान अपनी बहन अनन्या के साथ घर में खिलौनों के ढेर से उन बच्चों को उपहार स्वरूप देता है जो इसे खरीदने में सक्षम नहीं। करीब 2 हजार से अधिक खिलौने एकत्र किए। उसने बताया कि बतौर एक बच्चे के रूप में पसंदीदा खिलौना उसका बैट्री से चलने वाला बीएमडब्ल्यू था जिसे उसके पिता ने जन्मदिन पर उपहार में दिया था।
भिखारी बालक से पिघला मन
वह दोस्तों, रिश्तेदारों और यहां तक कि अजनबियों से भी खिलौने इकट्ठा करता है। उसके दिमाग में यह आइडिया जयपुर में प्रवास के दौरान उस समय आया जब वह चचेरे भाई की बर्थडे पार्टी से लौट रहा था। एक ट्रैफिक सिग्रल पर जब वह रूका तो एक भिखारी बालक ने उसकी कार की खिड़की पर दस्तक दी जो कार की सीट पर मौजूद बर्थडे गिफ्ट्स को बड़ी उत्सुकता से देख रहा था। घर वापस आकर आर्यमान ने इस ट्रस्ट को बनाने का फैसला किया। अपने मिशन को अन्य शहरों में विस्तार किया