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एनजीटी के आदेश को ठेंगा दिखाने में रेलवे भी पीछे नहीं, खुले में कोयला परिवहन से ऊर्जानगरी बेहाल

Chhattisgarh Railway : बिना तिरपाल ढंके हर रोज बीच शहर से धड़घड़ाती हुई गुजर जाती है 40 रैक कोयले (Coal) से भरी मालगाड़ी। रेलवे व उपभोक्ता कंपनी लगातार नियमों को दरकिनार कर कोयला परिवहन (Coal Transportation) कर रहे हैं।

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एनजीटी के आदेश को ठेंगा दिखाने में रेलवे भी पीछे नहीं, खुले में कोयला परिवहन से ऊर्जानगरी बेहाल

एनजीटी के आदेश को ठेंगा दिखाने में रेलवे भी पीछे नहीं, खुले में कोयला परिवहन से ऊर्जानगरी बेहाल

कोरबा. जिले से प्रतिदिन लगभग 40 रैक कोयला (Coal) से भरी मालगाड़ी को बिना ढंके बेधड़क शहर के बीच से दौड़ाए जा रहे हैं। इससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। मापदंडो के तहत कोयले (Coal) से लदी वैगन को तिरपाल से ढंक कर ही परिवहन किया जाना चाहिए। लेकिन रेलवे उदासीन है।

ऊर्जाधानी के विभिन्न साईडिंग से देश के अलग-अलग प्रदेश व जिले में संचालित कंपनियों को मालगाडिय़ों द्वारा कोयला परिवहन करती है। कोयला से लदी टे्रन शहर के बीच से होकर गुजरती है। बावजूद इसके रेलवे प्रबंधन और उपभोक्ता कंपनियों ने कोयला परिवहन (Coal Transportation) के नियमों का पालन नहीं कर रही है। कोयला परिवहन (Coal Transportation) में मापदंड के अनुसार कोयले से भरी मालगाड़ी को तिरपाल से ढंकने की जरूरी है। जबकि वर्तमान में रेलवे प्रबंधन कोरबा से प्रतिदिन लगभग 40 रैक कोयला परिवहन के दौरान लापरवाही बरती जा रही है। (Chhattisgarh Railway)

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इधर बिलासपुर जोन के अधिकारी निरीक्षण दौरान परिवहन के दौरान नियम का उल्लंघन पर कार्रवाई का निर्देश देती है। इसके उपरांत वह ठंडे बस्ते में चला जाता है। इसका विपरीत प्रभाव शहरवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। रेलवे प्रबंधन व उपभोक्ता कंपनी को आम नागरिकों के स्वास्थ्य व सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रही है। गौरतलब है कि ऊर्जाधानी पहले ही प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है।

ट्रैक से गिर रहे कोयले
साईडिंग में जेसीबी के माध्यम से मालगाड़ी में भरा जाता है। जो डिब्बे के ऊपर से भरी रहती है। टे्रक पर तेजरफ्तार में मालगाड़ी दौडऩे से कोयला (Coal) पत्थर व चुरा टे्रक पर गिरती है। वहीं फाटक बंद होने पर टे्रक के पास खड़े आम नागरिक को चोंट लग जाती है। इसी तरह गेवरा व कोरबा स्टेशन के प्लेटफार्म से होकर मालगाड़ी गुजरती है तो कोयला (Coal) चुरा गिरती है। इसे लेकर यात्रियों ने भी कई बार शिकायत की है। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

जिला प्रशासन का सख्त निर्देश
जिला प्रशासन ने भारी वाहनों से कोयला परिहवन के दौरान गाड़ी को ढंकने के लिए सख्त निर्देश दिया है। मापदंड का पालन नहीं करने वाले चालक पर कड़ी कार्रवाई कर रही है।

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सीधी बात- अरिजीत सिंह, एआरएम
सवाल : शहर के बीच से मालगाड़ी को बिना ढंके कोयला परिवहन (Coal Transportation) किया जा रहा है?
जवाब : यह उपभोक्ता कंपनी का दायित्व है कि वह कोयला को किस तरह ले जा रहे हैं। इसमें रेलवे का कोई दायित्व नहीं है।
सवाल: वर्तमान में जो रैक साईडिंग से जा रही है उसमें ने किसी भी रैक के वेगन को ढंका नहीं गया है?
जवाब : वर्तमान में दो कंपनियां है, जो लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मालगाड़ी को तिरपाल से ढंक कर कोयला परिवहन (Coal Transportation) कर रही है।
सवाल: पिछले वर्ष बिलासपुर जोन के अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान कोयला परिवहन (Coal Transportation) में नियमों का पालन करने का निर्देश दिया था?
जवाब : हमारी पूरी कोशिश रहती है, कि मालगाड़ी ढंका कर ही परिवहन किया जाए। इसके लिए उपभोक्ता कंपनियों को समय-समय प्रेरित भी किया जाता है।

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