
यहां के लोग ढोढ़ी या फिर बहते नाले के पानी का उपयोग कर रहे
कोरबा . कोरबा विकासखंड अन्तर्गत ग्राम माखूरपानी में पेयजल की काफी समस्या है। अब तक यहां के लोग ढोढ़ी या फिर बहते नाले के पानी का उपयोग कर रहे थे। सांसद डॉ बंशीलाल महतो की सांसद निधि से इस गांव की पेयजल के लिए योजना बनाई गई।
इसकी लागत सात लाख रूपए रखी गई। पीएचई ने इस काम को पूरा भी कर दिया। लेकिन काम की गुणवत्ता इतनी घटिया है की इस सात लाख के प्रोजेक्ट पर सात बुंद भी पानी नहीं निकला। साल भर बीत गए। लेकिन इससे पानी शुरू करवाने को लेकर अब तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
दरअसल पीएचई ने इस पूरे प्रोजेक्ट को इस कदर अंजाम दिया है की इससे पानी मिल पाना ही संभव नहीं है। दरअसल इस योजना में गांव में एक बड़ी टंकी बननी थी। इसके पास एक बोर करवाकर मोटर लगाना था। फिर पूरे गांव में पाइपलाइन बिछाना था। इससे हर घर पानी पहुंच जाता। लेकिन इस योजना पर पैसा बचाने के लिए पीएचई ने हर संभव प्रयास किया गया। बड़ी टंकी की बजाएं सिर्फ बोर किया गया।
वह भी 50 फीट ही। फिर दो घरों के सामने 500-500 लीटर की घटिया क्वालिटी की प्लास्टिक टंकी लगा दी गई। बोर से इन टंकी तक कनेक्शन दे दिया गया। ठेकेदार काम पूरा किया फिर बिना चालू किए वापस लौट गया। गांव वालों ने अपने स्तर पर इस बोर को चालू करवाया।
पहली बार में ही पानी की जगह कीचड़ की तरह मिटट्ी बाहर निकली। इसके बाद फिर कभी पानी निकला ही नहीं। पिछले साल जब मामला सामने आया तब इसे तत्काल सुधारने का दावा किया गया। लेकिन ग्रामीणों की मानें तो अब तक पेयजल की सुविधा नहीं मिल सकी है।
जानते थे पानी नहीं निकलेगा, फिर भी जानबुझकर वहीं खोदा
पीएचई के अफसर व ठेकेदार अच्छी तरह से वाकिफ थे कि माखूरपानी पहाड़ी इलाका है। मुख्य मार्ग के किनारे पथरीली जगह पर बोर खोद दिया गया। गांव वालों ने बताया की इस दौरान उनके द्वारा जगह बदलने की मांग भी की गई। लेकिन उसी जगह पर बोर खोद दिया गया। दरअसल कहीं और बोर करना होता तो 150 फीट से ऊपर खोदना पड़ता। कम खोदना पड़े इसलिए उसी जगह पर यह काम किया गया।
Published on:
21 May 2018 07:02 pm
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