
पार्षदों व मितानिनों ने अस्पताल स्टॉफ पर लगाए गंभीर आरोप
कोरबा . इलाज में लापरवाही के आरोप में शनिवार को जिला चिकित्सालय में जमकर हंगामा हुआ। पार्षदों व मितानिनों ने अस्पताल स्टॉफ पर गंभीर आरोप लगाते हुए ओपीडी के सामने धरने पर बैठ गए। लगभग साढ़े चार घंटे तक हंगामा चलता रहा। एसडीएम और बालको पुलिस भी मौके पर पहुंची। सिविल सर्जन जवाब देने सामने आए। उसके बाद भी हंगामा चलता रहा। बाद में संयुक्त वार्ता हुई। जिसमें महिला चिकित्सक के सार्वजनिक रूप से माफी मांगने पर हंगामा शांत हुआ।
शुक्रवार की रात से वार्ड क्रमांक 36 की सुमिता मुंडा डिलेवरी के लिए भर्ती कराया गया था। शुक्रवार की रात से लेकर शनिवार की दोपहर तक उसके डिलेवरी के लिए डॉक्टरों व नर्सिंग स्टॉफ द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। प्रसुता के परिजनों के मुताबिक पहले कहा गया कि अस्पताल में चिकित्सक अभी नहीं है। फिर जब चिकित्सक पहुंचे तो बिना ऑपरेशन किए ही चले गए। परिजनों ने जब जानकारी लेनी चाही। तब कहा गया कि महिला को ब्लड की जरूरत है।
परिजन ब्लड लेकर पहुंचे। तब वहां के नर्सिंग स्टॉफ ने कह दिया कि अब महिला की स्थिति चिंताजनक है। डिलेवरी के लिए सिम्स बिलासपुर ले जाएं। इसे सुन परिजनों भड़क गए। परिजनों का कहना था पहले तो डिलेवरी के लिए रात से घुमाया गया। अब कहा जा रहा है कि स्थिति खराब हो गई। आखिर इसके पीछे जिम्मेदार स्टॉफ है।
इसकी जानकारी जब पार्षद अमरनाथ अग्रवाल व अन्य को मिली। 7 पार्षद व एल्डेरमेन पहुंचे। कुछ ही देर में अधिक संख्या में मितानिन भी पहुंच गई। इसके बाद फिर जमकर हंगामा हुआ। ओपीडी और इमरजेंसी गेट के सामने पार्षदों ने नारेबाजी भी की। सिविल सर्जन डॉ तिवारी को बुलाया गया।
सिविल सर्जन के सामने पार्षदों व मितानिनों ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा यहां सुविधा नहीं होने की बात कहकर बाहर भेजा जा रहा है। पीडि़त महिला को निजी अस्पताल भेजा गया है। काफी हंगामा होते देख कोरबा एसडीएम, बालको पुलिस अस्पताल पहुंचे। जहां पार्षदों, मितानिनों, चिकित्सकों व एसडीएम की उपस्थिति में वार्ता हुई। बाद में महिला चिकित्सक डॉ एम कुजुर ने इसके लिए मांगी माफी। तब जाकर यह मामला शांत हुआ। इस दौरान पार्षद विकास अग्रवाल, रवि चंदेल, अब्दूल रहमान, एल्डरमेन मंजू सिंह, कृष्णाा द्विवेदी, सुफल दास सहित जिला चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष रामसिंह अग्रवाल, अर्चना उपाध्याय समेत अन्य उपस्थित थे।
चिकित्सक गिनती के, नर्सिंग स्टॉफ का बोलबाला, लोग परेशान
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में चिकित्सक गिनती के हैं। लगभग 22 की संख्या में चिकित्सक पदस्थ हैं, जबकि नर्सिंग स्टॉफ का यहां जमकर बोलबाला है। चिकित्सकों की अनुपस्थिति में नर्सिंग स्टॉफ के रवैये से ग्रामीण क्षेत्र के मरीज व उनके परिजन काफी परेशान रहते हैं। ऐसा नहीं है कि पूरा नर्सिंग स्टॉफ ऐसा है। लेकिन समय-समय पर इस तरह की गंभीर लापरवाही सामने आती रही है।
500-100 के विवाद में नहीं पडऩा चाहते परिजन, इसलिए मामला नहीं उठा
दरअसल 500-1000 रूपए के विवाद में परिजन पडऩा नहीं चाहते। लोग परिवार में नए मेहमान के आने की खुशी में दे देते हैं। लेकिन जब पैसे नहीं देने पर किसी की जान से खिलवाड़ कर देना यह तो और भी बद्तर स्थिति होती जा रही है। मितानिनों ने बताया कि उनसे प्रति मरीज पैसों की मांग होती है।
सिविल सर्जन के साथ झूमाझटकी भी
वार्ता के बाद जब सिविल सर्जन मितानिनों व पार्षदों से बात करने पहुंचे। इस बीच फिर से हंगामा हो गया। पार्षद विकास अग्रवाल और एल्डेरमेन मंजू सिंह सिविल सर्जन से भिड़ गए। दरअसल सिविल सर्जन कह रहे थे कि स्टॉफ से व्यवहार में कमी आई है इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। और आप सभी सहयोग करें। लेकिन आखिरी में सिविल सर्जन ने यह कह दिया कि अस्पताल में इस तरह जिंदाबाद-मुर्दाबाद नहीं चलेगा। इसे लेकर पार्षद विकास अग्रवाल से तीखी नोंकझोंक हुई।
मितानिनों ने बताया कि उनको निजी अस्पताल का एजेंट बताया जाता है
धरने पर बैठी मितानिनों ने बताया कि चिकित्सकों द्वारा इलाज में मनमानी तो की ही जाती है। साथ ही हमें निजी अस्पताल का एजेंट बताया जाता है। जबकि ऐसा नहीं है। निजी अस्पताल के एजेंट हमारे घर आकर कमीशन की बात करते हैं। उसके बाद भी हम सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचते हैं।
Published on:
21 Apr 2018 08:57 pm
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