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#Topic Of The Day – न्यूनतम मजदूरी और मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं सीएसईबी के ठेका श्रमिक

ठेका कंपनी व प्रबंधन के गठजोड़ के कारण ठेका श्रमिकों को 30 दिन काम करने के बावजूद 20-25 दिन का ही वेतन मिलता है

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कोरबा

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Shiv Singh

Apr 23, 2018

न्यूनतम मजदूरी और मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं सीएसईबी के ठेका श्रमिक

कोरबा . सीएसईबी के संयंत्रों में काम करने वाले ठेका श्रमिकों को न तो शासन से निर्धारित न्यूनतम मजदूरी मिल रही है और न ही उन्हें मूलभूत सुविधाएं। सरकार ने न्यूनतम मजदूरी तय कर दी है लेकिन प्रबंधन और ठेकदारों के गठजोड़ के आगे सरकारी नियम भी फेल हैं। उन्हें तरह-तरह से सताया जा रहा है। इसलिए इस गठजोड़ के खिलाफ श्रमिकों को एकजुट कर आंदोलन करने की तैयारी है। यह कहना है छत्तीसगढ़ पॉवर हाउस ठेका मजदूर संघ के उप महामंत्री मन हरण राठौर का। वे सोमवार को पत्रिका डॉटकाम द्वारा आयोजित टॉपिक ऑफ द डे में हिस्सा लेने के लिए पत्रिका कार्यालय पहुंचे थे।

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उन्होंने बताया कि ऊर्जाधानी में संचालित सीएसईबी के पॉवर प्लांट में बड़ी संख्या में ठेका श्रमिक पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करते हैं लेकिन जब उन्हें वेतन व सुविधाएं देने की बात आती है तो सीएसईबी प्रबंधन पीछे हट जाता है। प्रबंधन ठेका कंपनी के पक्ष में खड़ा नजर आता है। यही कारण है कि राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के बावजूद ठेका श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही है।

प्रबंधन ठेका कंपनी पर कभी दबाव नहीं बनाता है कि ठेका श्रमिकों को पूरा वेतन मिले। राठौर ने बताया कि ठेका कंपनी व प्रबंधन के गठजोड़ के कारण ठेका श्रमिकों को 30 दिन काम करने के बावजूद 30 दिन का नहीं बल्कि उससे कम 20-25 दिन का ही वेतन मिलता है और वह भी कम। इन श्रमिकों को सेलरी स्लिप भी नहीं दी जाती है और इस कारण पीएफ आदि में प्रबंधन का जमा होने वाला हिस्सा ठीक से जमा नहीं होता है बल्कि चालाकी करके प्रबंधन मात्र कुछ राशि जमा करता है। राठौर ने कहा कि पीएफ जमा करने को लेकर बड़े स्तर पर घोटाला किया जा रहा है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है।

ठेका श्रमिकों की वेतन के अतिरिक्त समस्याओं में सबसे अहम है मूलभूत सुविधाएं न मिलना। पॉवर प्लांट के कई खतरनाक एरिया में जाने वाले ठेका श्रमिकों को केन्द्र, राज्य व सीएसईबी प्रबंधन द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों के अनुरूप उपकरण नहीं दिये जाते हैं। उन्हें ऐसे जोन में अनुकूल माहौल नहीं मिल पाता है और ऐसे में उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। उप महामंत्री राठौर ने बताया कि इन मुद्दों को लेकर लगातार आंदोलन किया जा रहा है। हाल ही में प्रबंधन संग मीटिंग करके इन मुद्दों को रखा गया है और अगर जल्द समाधान नहीं होता है तो आंदोलन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता है।