
सैकड़ों की संख्या में भू- विस्थापित दीपका थाना चौक पर बैठे
कोरबा . एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रभावित ग्रामीणों ने नौकरी और पुनर्वास सहित अन्य मांगों को लेकर एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान गेवरा और दीपका को छह घंटे तक बंद करा दिया। सैकड़ों की संख्या में भू- विस्थापित दीपका के थाना चौक पर बैठ गए। एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की।
इस अवधि में गेवरा और दीपका खदान से कोयला डिस्पेच के लिए लगा साइलो बंद रहा। कोयला खदान से स्टॉक तक और स्टॉक से कोल वाशरी तक कोयला परिवहन बाधित हुआ। रोड सेल से भी कोयले का परिवहन नहीं हुआ। भू- विस्थापितों ने प्रबंधन को चेताया है कि एक माह के भीतर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो दो जून को एक बार फिर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
एसईसीएल की कोयला खदानों से प्रभावित भू- विस्थापित बुधवार को बड़ी संख्या में एकजुट होकर गेवरा दीपका पहुंचे। सुबह लगभग 10 बजे भू- विस्थापित दीपका के थाना चौक पर बैठ गए। एसईसीएल और कोल इंडिया प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। खदान से दीपका चौक के रास्ते रोड सेल और कोल वाशरी को होने वाला कोयला परिवहन बंद हो गया। धीरे धीरे चौक के आसपास गाडिय़ों की लंबी कतार लग गई। भू- विस्थापितों ने दीपका और गेवरा खदान से अलग अलग संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने के लिए लगाया गए साइलो को भी बंद करा दिया। आंदोलन को सफल बनाने के लिए भू- विस्थापितों ने अलग अलग टीम का गठन किया था।
भू- विस्थापितों ने बताया कि पहली टीम ने दीपका परियोजना के सुआभोंडी फेस से कोयला और मिट्टी उत्खनन को सुबह नौ बजे बंद किया गया। दूसरी टीम ने कांटा नंबर पांच ओल्ड दीपका माइंस से कोयला डिस्पैच को सुबह 9.30 बजे बंद कराया। तीसरी टीम ने गेवरा परियोजना के बाहनपाठ फेस को भी बंद करा दिया।
चौथी टीम ने गेवरा परियोजना के आमगांव फेस को बंद कराया। पांचवीं टीम ने दीपका साइलो से कोल डिस्पैच को बंद किया। शाम चार बजे तक भू- विस्थापित दीपका के थाना चौक पर जुटे रहे। भू- विस्थापितों ने मांगों के समर्थन में प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इसमें चेताया गया कि एक जून तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो दो जून से अनिश्चत कालीन आंदोलन किया जाएगा। खदान से कोयला उत्पादन व डिस्पैच को बंद कराया जाएगा।
इस अवसर पर भू- विस्थापित संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र राठौर, मंजीत यादव, रूद्र दास महंत, सपुरन कुलदीप, मोहन पाटले, शशि राठौर, नंदलाल सिंह, विष्णु बिंझवार, दशरथ सहित बड़ी संख्या में भू- विस्थापित उपस्थित थे।
आंंदोलन को बताया सफल
भू- विस्थापितों ने आंदोलन को सफल बताया है। उनका दावा है कि आंदोलन में 41 गांव के लगभग दो हजार ग्रामीण शामिल हुए। इसमें ग्राम नरईबोध रलिया, भिलाई बाजार, भठोरा, आमगांव, बाहनपाठ, पोंडी, पाली, पडनिया, जटराज, खोडरी, सोनपुरी, सुआभोंडी, हरदीबाजर, मलगांव, रेंकी, विजयनगर, गेवरा बस्त, खम्हरिया, सिरकी, चैनपुर, नेहरूनगर, बिंझरा, जुनाडीह, बरभांठा, सलोरा, पंडरीपानी, बुड़बुड़ और अन्य गांव के ग्रामीण शामिल हुए। आंदोलन में महिलाओं ने बढ़चढ़ हिस्सा लिया।
Published on:
02 May 2018 08:16 pm
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