
DMF Scam: जिला खनिज न्यास मद से कराए जाने वाले कार्य हमेशा चर्चा के विषय रहे हैँ। मद से पैसे पानी की तरह बहते चले जा रहे हैं लेकिन जमीन पर इससे किए जाने वाले कार्यों का लाभ क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल रहा है। राशि का हिसाब-किताब भी बड़ा मुद्दा रहा है।
अब नया मामला इस फंड से निकाले गए 25 करोड़ रुपए से जुड़ा है। यह राशि कहां है और इसका क्या इस्तेमाल हुआ। इसे लेकर कोई विभाग बोलने के लिए तैयार नहीं है। कोरबा जिला खनिज न्यास मद से हर साल जिला प्रशासन 100 करोड़ से अधिक राशि निकालकर अलग-अलग कार्यों पर खर्च करता है। लेकिन जितनी राशि यहां से निकलती है उसका हिसाब जनता के बीच प्रशासन की ओर से पारदर्शिता के साथ नहीं रखा जाता है। न ही पारदर्शिता को लेकर प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट रुख अपनाया जाता है।
नया मामला खनिज न्यास मद से निकाले गए 25 करोड़ रुपए को लेकर सामने आया है। बैंक खाते का स्टेटमेंट बताता है कि इस फंड से 18 सितंबर 2018 को मल्टीसिटी चेक क्रमांक 733447 के माध्यम से स्टेट बैंक की आईटीआई रामपुर शाखा से 25 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए थे। लेकिन ये पैसे किस संस्थान को ट्रांसफर किए गए, बैंक के स्टेटमेंट में उस संस्थान का खाता नंबर है जिसे यह पैसा दिया गया था।
लेकिन संस्था का नाम नहीं है। इस राशि को लेकर डीएमएफ के बही-खाते का हिसाब करने वाले सीए ने एक विवरण दिया है। सीए ने बताया है कि यह राशि सिपेट रायपुर को प्रदान किया गया है। सिपेट को यह राशि किन कार्यों के लिए प्रदान की गई इसे जानने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता अजय कुमार श्रीवास्तव ने सूचना का अधिकार के तहत सिपेट के रायपुर स्थित कार्यालय से संपर्क किया।
उन्होंने आवेदन लगाकर सिपेट (केंद्रीय पेट्रो रसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिक संस्थान) से इस राशि के बारे में जानकारी मांगी, तब सिपेट के जन सूचना प्राधिकारी एवं प्रधान निदेशक डॉ. आलोक साहू ने उन्हें लिखित में बताया कि 1 अप्रैल 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 तक कोरबा के डीएमएफ से सिपेट रायपुर को कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है।
अब यह मामला सामने आने के बाद पता नहीं चल पा रहा है कि डीएमएफ की यह राशि कहां गई? कोरबा के दर्री स्थित स्याहीमुड़ी में बनाए गए एजुकेशन हब में वर्तमान में सिपेट का संचालन किया जा रहा है। यहां कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
डीएमएफ की राशि का इस्तेमाल कैसे किया जाए इसके लिए प्रदेश सरकार ने एक एक्ट बनाया हुआ है। इसके तहत उन कार्यों को करने के लिए स्वीकृति दी गई है जिससे खनिज प्रभावित क्षेत्रों में विकास तय हो सके। डीएमएफ के संचालन के लिए प्रबंध कार्यकारिणी समिति के गठन की बात कही गई है।
डीएमएफ की शासी परिषद का अध्यक्ष कलेक्टर होता है। उनके कार्यों में सहयोग करने के लिए विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों को सदस्य बनाया जाता है। खनिज प्रभावित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि भी इसके सदस्य होते हैं।
DMF Scam: जिला खनिज न्यास मद में हर करोड़ों रुपए प्राप्त होते हैं। इन पैसों का इस्तेमाल कौन और कैसे कर रहा है, इसकी जांच जिला प्रशासन नहीं करता है। प्रशासनिक अफसर कार्यों के लिए अधीनस्थ विभागों के साथ मिलकर किसी भी कार्य पर खर्च होने वाली राशि के लिए प्रशासकीय स्वीकृति देते हैं और इसके बाद तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की जाती है।
दोनों कार्य होने के बाद खनिज न्यास संस्थान के अध्यक्ष की ओर से चेक के जरिए पैसे संबंधित कार्य के लिए तय किए गए एजेंसी को प्रदान कर दिया जाता है लेकिन एजेंसी ने डीएमएफ की राशि का इस्तेमाल कैसे किया उसके निर्माण कार्यों की गुणवत्ता कैसी रही इसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता है।
इसके विपरित खनिज न्यास संस्थान की प्रबंध कार्यकारिणी मद से दिए गए पैसे का हिसाब सीए (चार्टर एकाउंटेंट) के माध्यम से करा लेती है लेकिन प्रबंध कार्यकारिणी यह नहीं देखती है कि उसने जो पैसे संबंधित एजेंसी को दिया था वह कार्य हुआ या नहीं। हुआ तो उसकी गुणवत्ता कैसी थी।
2015-16 - 59.18
2016-17 - 174.38
2017-18 - 440.87
2018-19 - 145.14
2019-20 - 306.48
2020-21- 230.75
2021-22 - 361.74
2022-23 - 247.42
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सिपेट ने लिखित में बताया, नहीं मिली राशि
Published on:
04 Dec 2024 07:36 am
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