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किसानों को कराना होगा एग्रीस्टैक पोर्टल पर नया पंजीयन, तभी बेच सकेंगे समर्थन मूल्य पर धान, समझिए क्या है ये?

Farmer News: छत्तीसगढ़ में 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर सरकार धान की खरीदी करती है। लेकिन अब इस समर्थन मूल्य को प्राप्त करने के लिए किसानों को राज्य सरकार वाले पंजीयन के अलावा केंद्र सरकार की एग्रीस्टैक पोर्टल पर एक और पंजीयन कराना होगा।

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किसान (Photo-ANI)

किसान (Photo-ANI)

CG Farmer News: समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए किसान सहकारिता विभाग के अधीन पंजीयन कराते हैं। सहकारिता व कृषि विभाग को यह दायित्व सौंपा जाता है कि वह अधिक से अधिक किसानों का पंजीयन करें, ताकि पंजीयन के बाद किसान समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचकर अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकें।

छत्तीसगढ़ में 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर सरकार धान की खरीदी करती है। लेकिन अब इस समर्थन मूल्य को प्राप्त करने के लिए किसानों को राज्य सरकार वाले पंजीयन के अलावा केंद्र सरकार की एग्रीस्टैक पोर्टल पर एक और पंजीयन कराना होगा। यह पंजीयन किसानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। यदि पंजीयन नहीं कराया तो वह समर्थन मूल्य पर धान नहीं बेच सकेंगे।

जल्द ही इन गांवों के नाम एग्रीस्टैक पोर्टल पर प्रदर्शित होंगे

एक के बाद एक अलग-अलग प्लेटफार्म पर पंजीयन की जटिलता से किसान परेशान हैं। कोरबा जिले के नगर पालिक निगम में 9 गांव ऐसे हैं, जहां किसान खेती किसानी करते हैं। इन 9 गांव के नाम एग्रीस्टैक पोर्टल पर दर्ज नहीं थे। किसानों ने इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से की थी। जिसके बाद आश्वासन मिला कि जल्द ही इन गांवों के नाम एग्रीस्टैक पोर्टल पर प्रदर्शित होंगे।

कृषि विभाग की ओर से दावा भी किया गया की समस्या दूर हो गयी। लेकिन इन सब में किसान परेशान जरूर हुए। जिनका मानना है कि अलग-अलग तरह के पंजीयन की आवश्यकता ही क्यों है? डबल इंजन की सरकार में जब एक बार पंजीयन हो गया, तो वहीं से सारा डाटा केंद्र सरकार को प्रेषित कर दिया जाना चाहिए। सामान्य किसान हाईटेक नहीं होता। वह खेती किसानी में व्यस्त रहता है। खास तौर पर कोरबा जैसे आदिवासी जिले में ऑनलाइन माध्यम से पंजीयन कराना किसानो लिए एक जटिल प्रक्रिया से गुजरने की तरह है।

9 गांव के किसानों ने की थी कलेक्टर से शिकायत

एग्रीस्टैक पोर्टल की जटिलता और समस्या को लेकर नगर पालिक निगम के किसानों ने कलेक्टर अजीत वसंत से शिकायत की थी। जिसमें उल्लेख किया गया कि धान विक्रय के लिए सभी कृषकों का एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन करना अनिवार्य है। परन्तु नगर निगम क्षेत्र में आने वाले ग्रामों का नाम उक्त पोर्टल में दर्ज नहीं होने के कारण हम सभी कृषकों का पंजीयन नहीं हो पाया है। ऐसे में हम सभी कृषकों के मध्य धान विक्रय कर पाने को लेकर असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है।

कृषि एवं राजस्व अधिकारियों के तरफ से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है. अत: गांव दादरखुर्द, खरमोरा, ढेलवाडीह, बरबसपुर, रिस्दी, झगरहा, रिस्दा, रूमगरा, रामपुर का नाम एग्रीस्टेक पोर्टल में दर्ज करायें। हालांकि विभाग की ओर से इस समस्या के समाधान कर दिए जाने के बाद कही गई है।

समझिए क्या है एग्रिस्टेक पोर्टल

एग्रीस्टैक पोर्टल भारत सरकार द्वारा भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए बनाया गया एक डिजिटल इकोसिस्टम है। जिसका उद्देश्य किसानों के लिए एक डिजिटल डेटाबेस तैयार करना है। जिसमें उनकी पहचान, भूमि रिकॉर्ड, आय, ऋण, और बीमा संबंधी जानकारी शामिल होती है। यह पोर्टल किसानों के लिए एक विशिष्ट पहचान बनाता है। जिसमें उनकी सभी कृषि संबंधी जानकारी संग्रहीत होती है। सरकारों के लिए भी विभिन्न किसान और कृषि-केंद्रित योजनाओं को बनाने और लागू करने में मदद करता है।

छत्तीसगढ़ में धान या अन्य खरीफ फसलों को बेचने वाले किसानों के लिए एग्रीस्टैक पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। हालांकि किसान कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पर जाकरअपना पंजीकरण करा सकते हैं। धान खरीदी केंद्रों में भी यह सुविधा है। यह जरूरी इसलिए है, क्योंकि बिना पंजीकरण के किसान अपनी फसलें समर्थन मूल्य पर नहीं बेच पाएंगे।

किसान बोले-जरूरत क्या है नए पोर्टल की

खरमोरा के किसान भोजराम देवांगन कहते हैं कि हमें जानकारी मिली कि धान बेचने के लिए एग्रिस्टेक पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य है। जबकि मेरा पंजीयन कृषि और सहकारिता विभाग में है। मैंने पिछले वर्ष धान बेचा था। इस वर्ष भी मैंने समिति से खाद बीज प्राप्त किया है। मेरा पहले से पंजीयन है। मेरा कहना है कि एक के बाद एक नए-नए पंजीयन की जरूरत क्या है। इससे किसानों को अनावश्यक परेशानी होती है।

निर्देश मिले हैं, समस्या का समाधान किया गया

कृषि विभाग के नगर पालिक निगम क्षेत्र के कृषि विकास विस्तार अधिकारी संजय पटेल ने बताया कि किसानों ने शिकायत की थी कि नगर पालिक निगम के 9 गांव के किसान ऐसे हैं, जो खेती किसानी करते हैं। इन गांवों के नाम एग्रीस्टैक पोर्टल में प्रदर्शित नहीं हो रहे थे। कलेक्टर से निर्देश मिलने के बाद इस समस्या का समाधान किया गया है। गांव के नाम समितियों में प्रदर्शित हो रहे हैं।