
शिशु मृत्यु दर में कमी लाने किया गया था एसएनसीयू का निर्माण, अब तक इतने शिशुओं को मिली नई जिंदगी, जानें क्या है एसएनसीयू...
कोरबा . शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जिला अस्पताल में खोली गई सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। अभी तक इस यूनिट में लगभग 600 शिशुओं को नई जिंदगी मिल चुकी है। यूनिट में नवजात की देखभाल के लिए एक पीडियाट्रिक्स की भी नियुक्ति की गई है।
जिला अस्पताल की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट जिले की सबसे बड़ी यूनिट है। इस यूनिट में १२ मशीनें हंै। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिले की सरकारी या निजी अस्पताल में इससे बड़ी कोई यूनिट नहीं है। औसत चार से पांच शिशुओं की भर्ती प्रतिदिन होती है।
शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के मकसद से एनसीयू का निर्माण लगभग तीन साल पहले किया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम प्रबंधक पदमाकर शिंदे ने बताया कि नवजात शिशुओं के लिए जन्म का पहला घंटा, पहला दिन, पहला सप्ताह और पहली महिला चुनौती भरा होता है। इस अवधि में नवजात की काफी देखभाल की आवश्यकता होती है।
खासकर उन शिशुओं की, जिनका वजन सामान्य से कम होता है, या ऐसे बच्चे जिनका जन्म समय से पहले होता है। इन शिशुओं की निगरानी बेहद जरूरी होती है। समय पर इलाज न मिले तो मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे बच्चों को सिक न्यबॉर्न केयर यूनिट में रखकर स्वस्थ होने तक निगरानी की जाती है।
इसके बाद ही अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाता है। यूनिट में एक पीडियाट्रिक्स स्मृता सोनी की नियुक्ति की गई है। उनकी देखरेख में इलाज किया जाता है। यूनिट में १२ मशीनें और इतने ही बेड हैं। छह मशीनें इन बॉर्न के लिए और इतनी ही मशीने आउट बार्न केयर के लिए लगाई गई है।
जिला अस्पताल में जन्म लेने वालों शिशुओं को जरूरत पडऩे पर इन न्यूबॉर्न केयर यूनिट में रखा जाता है। दूसरे सरकारी या निजी अस्पतालों में जन्म लेने वाले शिशुओं को जरूरत पडऩे पर आउट न्यूबॉर्न केयर यूनिट में भेजा जाता है। यूनिट की सभी मशीनें आधुनिक हैं।
कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि अभी तक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में लगभग ६०० शिशुओं का इलाज किया जा चुका है। शिंदे ने बताया कि जिला अस्पताल की न्यूबॉर्न केयर यूनिट जैसी कोरबा के निजी अस्पतालों में यूनिट नहीं है। जरूरत पडऩे पर शिशुओं को बिलासपुर रेफर किया जाता है।
Published on:
19 May 2018 11:45 am
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