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Independence Day 2024: लार्ड डलहौजी की हड़प नीति की शिकार हो गई थी कोरबा की जमींदारी, जानिए संघर्ष की अनोखी कहानी

Independence Day 2024: राजा जोगेश्वर प्रताप सिंह का कोई पुत्र नहीं था। दो बेटियों में से एक की मृत्यु हो गई थी, दूसरी बेटी की शादी पोड़ी उपरोड़ा के जमींदार रुद्रशरण प्रताप सिंह के संग हुई थी।

कोरबाAug 14, 2024 / 02:03 pm

Khyati Parihar

Independence Day 2024
Independence Day 2024: कृतज्ञ राष्ट्र आजादी का 78वां वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इस आजादी को हमने काफी संघर्ष, बलिदान और त्याग के बल पर हासिल किया है। कई वीर योद्धाओं और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहूति दी है। स्वतंत्रता के खातिर अपना सब कुछ न्योछावर किया है। इन्हीं में से एक कोरबा की जमींदारी है। यहां के राजा जोगेश्वर प्रताप सिंह का कोई पुत्र नहीं था। दो बेटियों में से एक की मृत्यु हो गई थी, दूसरी बेटी की शादी पोड़ी उपरोड़ा के जमींदार रुद्रशरण प्रताप सिंह के संग हुई थी।
राजा जोगेश्वर की मृत्यु 1918 में हो गई थी। उनकी बेटी को अंग्रेजी सरकार ने उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया था। अंग्रेजी हुकूमत ने लार्ड डलहौजी के हड़प नीति को आगे बढ़ाया और कोरबा की जमींदारी को हड़प लिया। यहां से प्राप्त होने वाले सभी लगानों पर अंग्रेजी सरकार का कब्जा हो गया। धनराज कुंवर के अधिकार छीन गए।

Independence Day 2024: रानी ने कानूनी लड़ाई से हासिल दोबारा जमींदारी

अंग्रेजी हुकूमत ने अपने एजेंट के जरिए यहां के सत्ता का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। तब राजा जोगेश्वर की पत्नी धनराज कुंवर ने तत्कालीन ब्रिटीश कोर्ट में इसकी चुनौती दी। कई साल चले कानूनी दांवपेच के बाद बिलासपुर की कोर्ट से धनराज कुंवर मुकदमा जीत गईं और उन्हें अंग्रेजी सरकार से अपनी जमींदारी वापस मिल गई। सन् 1922 में धनराज कुंवर इस जमींदारी की दोबारा मालकिन बन गईं।
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Independence Day 2024: रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ छेड़ दिया गोपनीय संघर्ष

लेकिन इस घटना ने रानी पर गहरा छाप छोड़ा और उन्होंने अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध गोपनीय तरीके से संघर्ष शुरू कर दिया। स्वतंत्रता संग्राम के लिए रानी नायक तैयार करने लगीं। उनके इस कार्य में यहां के लोगों ने काफी सहयोग किया। आजादी की लड़ाई जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी रानी धनराज ने कोरबा से लगे करतला में स्वतंत्रता सेनानियों की एक बड़ी फौज तैयार कर ली थी। 52 स्वतंत्रता सेनानियों को तैयार किया था जो अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों को लोगों के बीच जाकर जानकारी देता था, उन्हें आजादी की लड़ाई में शामिल होने की प्रेरणा देता था।

Independence Day 2024: अंग्रेजी शिक्षा को समझने के लिए खोला इंग्लिश मीडियम स्कूल

उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा के महत्व को समझा और एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल को खोलवाया। इसके पीछे रानी की सोच थी कि अंग्रेज अपने कानून की व्याख्या अपनी मर्जी से करते हैं और भारतीय लोगों को मूर्ख बनाकर उन पर एकाधिकार जमाते हैं। अंग्रेजी भाषा को समझने के लिए ही उन्होंने एक इंग्लिश पब्लिक स्कूल खोला। इसका मकसद अंग्रेजी भाषा पढ़ने-लिखने वाले विद्यार्थियों को तैयार करना था जो अंग्रेजों से उनकी भाषा में बात करे।
आजादी की लड़ाई में दिए गए अपने योगदान के कारण धनराज कुंवर को रानी की उपाधि दी गई थी। वर्तमान में रानी का कोई परिवार कोरबा में नहीं है लेकिन उनका राजमहल आज भी उनकी जमींदारी व्यवस्था का प्रतीक है, जिसमें आज कमला नेहरू महाविद्यालय का संचालन होता है। रानी ने अपना राजमहल और जमीन कॉलेज को दान कर दिया था।

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