
CG Coal News: कोयले से भरपूर कोरबा जिले में कोल इंडिया के तीन मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा शामिल हैं। गेवरा एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है। इसकी सालाना उत्पादन क्षमता अधिकतम 70 मिलियन टन हैं। लेकिन गेवरा का यह वर्चस्व आने वाले कुछ वर्षों में खत्म हो जाएगा और कुसमुंडा कोल इंडिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बन जाएगी। इसके लिए हाल ही में कोल इंडिया की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कुसमुंडा खदान से सालाना 75 मिलियन टन कोयला उत्पादन से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
यह प्रस्ताव देश में कोयले की मांग को पूरा करने के लिए एसईसीएल की तरफ से कोल इंडिया को भेजा गया था। इसमें बताया गया था कि कुसमुंडा में कोयले का अकूत भंडार है। यहां से सालाना 75 मिलियन टन कोयला खनन किया जा सकता है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से मंजूरी मिलने के बाद कोल इंडिया इस प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
वर्तमान में कुसमुंडा दुनिया की चौथी बड़ी खदान है। जिसकी सालाना अधिकतम उत्पादन क्षमता 58 मिलियन टन है। जबकि चालू वित्तीय वर्ष में कोयला कंपनी ने यहां से 52 मिलियन टन कोयला खनन का लक्ष्य रखा है।
गेवरा में कोयले का कितना भंडार है? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गेवरा अकेला आने वाले 10 साल तक देशभर के सभी बिजली घरों को कोयला दे सकता है। गेवरा में सामान्य तौर पर जी- 11 ग्रेड का कोयला है। इसकी आपूर्ति कोरबा के अलावा अन्य राज्यों के बिजली घर को की जाती है।
कुसमुंडा खदान की सालाना उत्पादन क्षमता 75 मिलियन टन करने से संबंधित प्रस्ताव को कोल इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से स्वीकृति मिल गई है। यह कुसमुंडा प्रोजेक्ट के लिए बड़ा नीतिगत निर्णय है। आने वाले वर्षों कुसमुंडा कोल इंडिया की पहली खदान होगी, जिसकी उत्पादन क्षमता गेवरा से अधिक हो जाएगी। - डॉ. सनीषचन्द्र, जनसम्पर्क अधिकारी, एसईसीएल बिलासपुर
Updated on:
22 Dec 2024 09:46 am
Published on:
22 Dec 2024 09:44 am
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