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राजस्व न्यायालयों को समय नहीं दे पा रहे अफसर जिले में 50 प्रतिशत से अधिक प्रकरण हैं पेंडिंग

लोक सेवा गारंटी अधिनियम का भी उड़ रहा मखौल

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कोरबा

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Shiv Singh

Jun 13, 2018

लोक सेवा गारंटी अधिनियम का भी उड़ रहा मखौल

लोक सेवा गारंटी अधिनियम का भी उड़ रहा मखौल

कोरबा. राजस्व विभाग के अफसर प्रशासनिक कार्यांे की व्यस्तता के कारण राजस्व न्यायालयों को समय दे पा रहे हैं। परिणाम यह है कि जिले में 50.35 प्रतिशत प्रकरण लंबित हैं जबकि निराकृत प्रकरणों की संख्या इससे कम है।


जिले में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 19 राजस्व न्यायालय हैं। जहां कुल 10 हजार 626 प्रकरण दर्ज हैं। इनमें से पांच हजार 273 प्रकरण निराकृत हैं जबकि पांच हजार 353 प्रकरण अब भी लंबित हैं। राजस्व न्यायालयों के प्रकरण निर्धारित समय सीमाा में जल्द निपटाने के लिए ई-कोर्ट की शुरूआत की गई थी। वर्ष 2011 से ही इसके लिए छत्तीसगढ़ लोकसेवा गारंटी अधिनियम भी प्रभावशील है। लेकिन इससे भी राजस्व न्यायालयों में पेंडेंसी की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लोग सालों साल सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा और अपनी ही जमीन से अवैध कब्जा हटाए जाने के लिए इंतजार करते हैं। जिन्हें तारीख पर तारीख मिलती रहती है।


ऑर्डरशीट तक नहीं होते अपलोड
ई-कोर्ट की व्यवस्था लागू होने के बाद तहसील सहित सभी राजस्व न्यायालयों में होने वाली कार्यवाही का संपूर्ण विवरण तत्काल ऑनलाईन अपलोड किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। आम लोग राजस्व मामलों के निपटारे के लिए सालों-साल चक्कर काटते रहते हैं। नियमानुसार रोज की कार्यवाही व अगली सुनवाई की तारीख का विवरण प्रकरण क्रमांक व आवेदक के नाम से सर्च करते ही उपलब्ध होना चाहिए।


प्रशानिक कार्यों का अधिक बोझ
प्रशासनिक अफसर दोहरी भूमिका निभाते हैं। नायब तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक प्रशासन के कामकाज देखते हैं, जो लोकसुराज, विकास यात्रा तो कभी वीआईपी ड्यूटी के अलावा भी कई तरह की बैठकों में शामिल होते हैं। ऐसे में कई बार वह सुनवाई के लिए तय तारीख वाले दिन राजस्व न्यायालय में चाहकर भी नहीं पहुंच पाते। इस कारण आसानी से सुलझाए जा सकने वाले प्रकरण भी सालों-साल चलते रहते हैं।

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पटवारी समय पर नहीं देते प्रतिवेदन
अफसरों की तरह ही पटवारी पर भी कई तरह के कार्यों का दबाव होता है। एक पटवारी राजस्व विभाग की सबसे निचली कड़ी के रूप में कार्य करता है। इसलिए किसी भी तरह का मुआवजा, सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा आदि में पटवारी द्वारा तैयार प्रतिवेदन एक अहम दस्तावेज होता है। इस प्रतिवेदन को पटवारियों द्वारा कभी भी तय समयसीमा के भीतर प्रस्तुत नहीं किया जाता। यह भी प्रकरण के लंबित होने का एक बड़ा कारण है।


प्रमुख न्यायालय- कुल केस- निराकृत लंबित
कलेक्टर, कोरबा- 1227- 395- 832
एसडीएम, पोड़ी- 137- 83- 54
एसडीएम कटघोरा- 250- 89- 161
एसडीएम कोरबा- 797- 179- 618
तहसील कटघोरा- 836- 376- 462
तहसील करतला- 520- 320- 200
तहसील कोरबा- 1342- 457- 885
तहसील पाली- 733- 454- 279
तहसील पोड़ी उपरोड़ा- 502- 233- 269


-एक्सर्ट व्यू
राजस्व अधिकारियों के कामकाज के दो रूप होते हैं। प्रशासनिक और न्यायिक। अफसरों पर प्रशासनिक कार्यों का इतना अधिक बोझ होता है कि वह न्यायालय को ज्यादा समय नहीं दे पाते। आवेदक सुनवाई वाले दिन न्यायालय पहुंचते हैं, लेकिन अफसर किसी प्रशासनिक कार्य में उलझे रहते हैं। लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत हर प्रकरण का निपटारा करने की समयसीमा तय है। लेकिन इसका पालन नहीं होता। जिस कार्य को तीन महीने में पूरा कर लेना चहिए। उसके लिए भी कई साल का इंतजार करना पड़ता है। स्थिति बेहद चिंताजन है।
-एलएन अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता

-इस बात का पूरा प्रयास रहता है कि सारे प्रकरण समय पर निपटा लिए जाएं। लोक सेवा गारंटी अधिनियम का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।
-टीआर भारद्वाज, तहसीलदार कोरबा