15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्षमता से अधिक कोयला लोड कर चला रहे मालगाड़ी, दबाव बढ़ने की वजह से रेलपात भी हो रहे कमजोर

CG News: निजी पावर कपंनियों के लिए क्षमता से अधिक ओवरलोड मालगाड़ी भेजे जा रहे हैं।

2 min read
Google source verification
क्षमता से अधिक कोयला लोड कर चला रहे मालगाड़ी, दबाव बढ़ने की वजह से रेलपात भी हो रहे कमजोर

क्षमता से अधिक कोयला लोड कर चला रहे मालगाड़ी, दबाव बढ़ने की वजह से रेलपात भी हो रहे कमजोर

कोरबा CG News: निजी पावर कपंनियों के लिए क्षमता से अधिक ओवरलोड मालगाड़ी भेजे जा रहे हैं। रेलवे लाइन पर प्रतिदिन औसतन 35 रैक का परिवहन हो रहा है। दबाव बढ़ने की वजह से रेलपात भी कमजोर हो रहे हैं। गुरुवार की रात दीपका साइडिंग से लगे सिरकी के समीप एक एमटी मालगाड़ी के पांच डिब्बे पलट गए थे। करीब 19 घंटे की मशक्कत के बाद लाइन को चालू किया गया। यह पहली बार नहीं है कई बार हादसे हो चुके हैं। एसईसीएल की गेवरा, दीपका व कुसमुंडा मेगा परियोजना से कोयले की सप्लाई हो रही है।

यह भी पढ़ें: CG Election : खेत में उतरकर राहुल गांधी ने की धान की कटाई, सीएम, डिप्टी सीएम का दिखा ये अनोखा अंदाज

इसके अलावा मानिकपुर, सुराकछार, बलगी, बगदेवा, ढेलवाडीह व सिंघाली खदान में उत्खनन कार्य किया जा रहा है। इन खदानों से निकले कोयला को परिवहन सर्वाधिक मालगाडी के माध्यम से किया जाता है। इसके बाद रोड सेल से होता है। खदानो से प्रतिदिन 35 रैक कोयला छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब व अन्य राज्य में स्थित विद्युत संयंत्र व अन्य उप₹मों में आपूर्ति किया जा रहा है। एक रैक में 60 वैगन होते हैं। प्रत्येक वैगन में 58 से 61 टन कोयला भरने की क्षमता होती है, पर रेल प्रबंधन द्वारा निर्धारित क्षमता से ज्यादा कोयला लोड किया जा रहा है। इससे रेल पांत क्षतिग्रस्त हो रही है और दुर्घटनाएं बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें: सिर पर लाल गमछा और हाथ में हंसिया लिए राहुल गांधी ने की धान की कटाई, सीएम बघेल का भी दिखा ये अनोखा अंदाज

ओवरलोड कोयला पटरी पर गिर रहा

कोयला भरे जाने पर नीचे पटरी पर गिरने लगता है और यही कोयला चूरा होकर पानी में गीला होने से जम जाता है। इससे मालगाड़ी के पहिए पटरी पर ठीक से नहीं चल पाते हैं। इससे पटरी से नीचे उतर जाते हैं। साथ ही दूसरी लाईन में भी आवागमन प्रभावित होता है।

यह भी पढ़ें: CG News: टमाटर के दाम से मिली राहत, अब रुलाने लगी प्याज

कोल साइडिंग में ही क्षमता से अधिक कोयला लोड किया जाता है, जबकि निर्धारित क्षमता से अधिक लोड नहीं करना चाहिए। ओवरलोड कोयले को हटाने के लिए एडजस्टिंग प्वाइंट कोथारी के समीप बनाया गया है। हालांकि प्रबंधन का दावा है कि साइडिंग में ही प्वाइंट बनाए गए हैं। रैक गेवरा-दीपका और कुसमुंडा से कोथारी तक करीब 18 किमी बाद पहुंचती है। इतने लंबे दायरे तक रेलपात पर दबाव बढ़ना लाजिमी है। इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: जिले के 130 स्कूलों में टॉयलेट जर्जर, तो 30 में हैं ही नहीं, शौच के लिए भागना पड़ रहा बाहर

रेलवे, सीपीआरओ, साकेत रंजन ने कहा-

डी-रेल की घटना की जांच चल रही है। जो भी जिम्मेदार होंगे उन पर कार्रवाई होगी। ओवरलोड कोयले को हटाने के लिए एडजस्ट प्वाइंट बनाया गया है।