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एसईसीएल ने मानी गलती, भू- विस्थापित को दी छह डिसमिल जमीन

पेड़ के नीचे से हटाकर परिवार को गांव के सांस्कृतिक मंच में ठहराया गया

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कोरबा

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Shiv Singh

May 15, 2018

एसईसीएल ने मानी गलती, भू- विस्थापित को दी छह डिसमिल जमीन

कोरबा . बसाहट की मांग को लेकर 19 दिन से पेड़ के नीचे परिवार के साथ बैठे सुखराम की पहली बाधा दूर हो गई है। प्रशासन की जांच में एसईसीएल की झूठ पकड़ी गई है। बैकफुट पर आए प्रबंधन ने सुखराम को विजय नगर में बसाहट के लिए छह डिसमिल जमीन उपलब्ध कराया है। जमीन को समतल कराकर हैंडओवर करने की बात कही है। मांग पूरी होता देख सुखराम के रूख में भी नरमी आई है। प्रशासन की समझाइश पर पेड़ के नीचे से उठकर गांव के सांस्कृतिक मंच में अस्थाई असियाना बना लिया है।

भू- विस्थापित को पेड़ से हटाकर किसी और स्थान पर ठहराने के लिए सोमवार को हरदीबाजार के नायब तहसीलदार अभिषेक राठौर, हल्का पटवारी जयश्री भारती, कटसिरा पटवारी मोहनलाल कैवर्त और आसपास के गांव से कोटवार को लेकर सुखराम से मिलने पहुंचे। नायब तहसीलदार ने सुखराम को ग्राम भरोठा स्थित गांव के सांस्कृतिक मंच में अस्थाई तौर पर रहने के लिए कहा। वादा किया कि सुखराम को विजय नगर में बसाहट उपलब्ध कराई जाएगी। सुखराम को अपने साथ विजय नगर ले गए। वहां एसईसीएल के अफसर भी पहुंचे। राजस्व विभाग और एसईसीएल के अफसरों ने सुखराम को विजय नगर में बसाहट के लिए छह डिसमिल जमीन उपलब्ध करायी। लेकिन जमीन उबड़ खाबड़ है। एसईसीएल ने मंगलवार से जमीन को समतल करने की बात कही है। राजस्व विभाग के कर्मचारी भूविस्थापित सुखराम को लेकर ग्राम भठोरा पहुंचे। स्थानीय लोग और आसपास से आए कोटवार की मदद से सुखराम के सामान को पेड़ से उठाकर गांव के सांस्कृतिक मंच में रखा गया है। सुखराम ने पत्रिक से चर्चा करते हुए बताया कि उसे विजय नगर में बसाहट के लिए छह डिसमिल जमीन दी गई है। भू- खंड को समतल करने की बात भी एसईसीएल ने कही है। जमीन के समतलीकरण व वहां मकान बनकर तैयार होने तक सुखराम सांस्कृतिक भवन में अस्थाई तौर पर रहेगा।

क्या है मामला
ग्राम भठोरा में सुखराम की पैतृक मकान थी। २० दिन पहले एसईसीएल के एक अफसर ने मकान के लिए मुआवजा और आवास के लिए नया भू- खंड उपलब्ध कराने का झांसा देकर तोड़वा दिया था। बाद में यह कहकर भू- खंड देने से मना कर दिया था कि ४० साल पहले उसे विजय नगर में बसाहट दी थी। इसे भू- विस्थापित ने एसईसीएल की झूठ बताया था। परिवार के साथ १९ दिन से पेड़ के नीचे बैठा था।