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17 दिन और इतनी ही रातें पेड़ के नीचे गुजारा यह परिवार, आखिर क्या थी वजह जानकर आप रह जाएंगे हैरान, पढि़ए पूरी खबर…

गेवरा क्षेत्र के अफसरों ने यह कहकर विस्थापन के पैसे रोक दिए थे कि मकान तोडऩे पर ही राशि दिए जाने का प्रावधान है।

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कोरबा

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Shiv Singh

May 12, 2018

CG Human Story : 17 दिन और इतनी ही रातें पेड़ के नीचे गुजारा यह परिवार, आखिर क्या थी वजह जानकर आप रह जाएंगे हैरान, पढि़ए पूरी खबर...

कोरबा . पेड़ के नीचे बैठा यह परिवार हरदीबाजार चौकी क्षेत्र के गांव भठोरा सराइपाली निवासी सुखराम डहरिया का है। सूखराम का परिवार १७ दिन और उतनी ही रातें पेड़ के नीचे गुजार चुका है। घर का सामान बाहर पड़ा है। सूखराम की नतनी को लू लग गई है। कारण यह नहीं है कि सुखराम के पास घर और जमीन नहीं है, बल्कि एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के अधिकारियों का उदासीन और हैरान कर देने वाला रवैया है।

सुखराम ने बताया कि एसईसीएल गेवरा परियोजना के अधिग्रहीत की गई जमीन में उसका मकान है। सुखराम ने बताया कि उसने डेढ़ साल पहले विस्थापन के लिए फार्म भरा था। लेकिन गेवरा क्षेत्र के अफसरों ने यह कहकर विस्थापन के पैसे रोक दिए थे कि मकान तोडऩे पर ही राशि दिए जाने का प्रावधान है।

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पिछले माह की २३ अप्रैल को सुखराम गेवरा के अफसर अविनाश शुक्ला से मिला। शुक्ला ने सुखराम को बताया कि मकान का मुआवजा और पूनर्वास की राशि बनकर तैयार है। मकान तोडऩे के बाद राशि मिल जाएगी। इसके दो दिन बाद सूखराम ने भठोरा सराइपाली स्थित अपने मकान को तोड़ दिया। इसकी जानकारी देने गेवरा परियोजना के कार्यालय पहुंचा। वहां उसकी मुलाकात अविनाश शुक्ला से हुई। उसने मकान तोडऩे की जानकारी देते हुए मुआवजा और नए स्थान पर मकान बनाने की मांग की।

सुखराम का आरोप है कि शुक्ला वादे से मुकर गए। यह कहने लगे कि मकान तोडऩे का पैसा मिलेगा। जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। यह सुनकर सुखराम की पैर से जमीन खिसक गई। दोनों के बीच बहस भी हुई। निराश होकर सुखराम घर लौटा। उसने मकान से थोड़ी दूरी पर स्थित चिरंजीवी और सतवन पेड़ के नीचे आशियाना बना लिया। निश्चय कि दोबारा गेवरा परियोजना नहीं जाएगा। एक एक कर १७ दिन और उतनी ही रातें पेड़ के नीचे गुजर गई। इस बीच सुखराम की नातिन लू की चपेट में आ गई। उसकी तबियत खराब होने लगी। गांव में इस बात की जानकारी तेजी से फैली। अन्य भू- विस्थापित नाराज हो गए।

कलेक्टर कैसर अब्दुल हक को भी जानकारी मिली। परिवार की खबर सुनकर कलेक्टर हैरान हो गए। उन्होंने नाराजी व्यक्त किया। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। हरदीबाजार के नायब तहसीलदार अभिषेक पुलिस के साथ सुखराम से मिलने पहुंचे। उसकी मासूम नातिन को हरदीबाजार के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया। अस्पताल में मासूम बच्ची का इलाज किया जा रहा है। बच्ची की स्थिति पर चिकित्सक नजर रखे हुए हैं।

कलेक्टर की नाराजगी के बाद खाते में भेज दिया 2.73 लाख रुपए
कलेक्टर के नाराज होने की देख एसईसीएल गेवरा के अफसर हरकत में आए। उन्होंने आनन फानन में सुखराम के बैंक खाते में दो लाख ७३ हजार ९६० रुपए का आरटीजीएस के जरिए भेज दिया। यह बताने की कोशिश कि प्रबंधन सक्रिय है। लेकिन सुखराम गेवरा प्रबंधन के रवैये से निराश है। उसने बताया कि जबतक प्रबंधन उसे मकान बनाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराता, वह परिवार के साथ पेड़ के नीचे जीवन यापन करता रहेगा।

-घटना की सूचना मिलने पर सुखराम की नातिन को अस्पताल में भर्ती किया गया है। उसे लू लगी है। प्रबंधन ने सुखराम को दो लाख ७० हजार रुपए दी है। आवास के लिए जमीन उपलब्ध कराने को लेकर विवाद है। उसे दूर किया जाएगा- अभिषेक राठौर, नायब तहसीलदार, हरदीबाजार