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चिपको की तर्ज पर ग्रामीण चला रहे ‘गिनती आंदोलन, 500 ग्रामीणों को मनाने आएगी आंध्रप्रदेश सरकार

Coal Mine : आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को मदनपुर में मिली है कोल ब्लॉक - ग्रामीण जानते हैं अगर गिनती हो गई तो पेड़ कटाई की मिल जाएगी अनुमति, इसलिए दिनरात कर रहे निगरानी

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आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को मदनपुर में मिली है कोल ब्लॉक

चिपको की तर्ज पर ग्रामीण चला रहे ‘गिनती आंदोलन, 500 ग्रामीणों को मनाने आएगी आंध्रप्रदेश सरकार

कोरबा. उतरांचल में हुए चिपको आंदोलन की तर्ज पर ग्रामीण ‘गिनती आंदोलन’ चला रहे हैं। ग्रामीण जानते हैं कि अगर गिनती हो गई तो पेड़ कटाई की अनुमति भी मिल जाएगी। इसलिए जब भी वन अमला गिनती करने पहुंच रहा हैं तो ग्रामीण काम बंद करवा दे रहे हैं। अब वन विभाग (Forest department) ने भी हाथ खड़े कर दिया है। अब इन 5 सौ ग्रामीणों को मनाने आंधप्रदेश सरकार आएगी।
आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को 2015 में ही मदनपुर साउथ कोल माइंस (Coal Mine) का आवंटन हो चुका है। ई और एफ ग्रेड का कुल 183.38 मिलियन कोयले(Coal) का भंडार है। इसके लिए कुल 713.5 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। एपीएमडीसी ने प्रति साल 5.40 मिलियन टन का उत्पादन का लक्ष्य रखा है। आंध्रप्रदेश सरकार इसे 2020 जनवरी तक शुरू करने का लक्ष्य लेकर चल रही थी। लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद अब इस प्रोजेक्ट के शुरू होने में 6 माह की देरी हो सकती है। प्रस्तावित जमीन में अधिकांश वन भूमि है। मदनपुर से लेकर मोरगा से लगे जमीन का अधिग्रहण की प्रक्रिया होनी है। एपीएमडीसी को वन मंत्रालय से अब तक क्लीयरेंस नहीं मिला है। क्लीयरेंस के लिए विभाग को पहले पेड़ों की गिनती की रिपोर्ट भेजनी होगी। अनुमति मिलने के बाद पेड़ों की कटाई होनी है। लेकिन मुख्यालय से 110 किमी दूर एक छोटे से गांव में पेड़ों को बचाने एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। प्रभावित गांव मोरगा के 5 सौ ग्रामीणों के विरोध की वजह से आंध्र्र प्रदेश सरकार की नींद उड़ गई है। दरअसल हर 15 दिन में वन विभाग (Forest department) पेड़ों की गिनती करने पहुंच रहा है। लेकिन हर बार विभाग को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वन विभाग ने बैठक रखकर आक्रोश को शांत करने की कोशिश भी की। लेकिन ग्रामीण सिर्फ एक बात पर अड़े हैं कि पेड़ों की गिनती ही नहीं होने देंगे। ग्रामीणों के गिनती आंदोलन को देखते हुए वन अमले ने भी हाथ खड़े कर दिया है। बहुत जल्द आंधप्रदेश सरकार के वरिष्ठ अफसर गांव पहुंचकर ग्रामीणों को मनाने की कोशिश करेंगे। इधर जिला प्रशासन भी ग्रामीणों से बात कर गिनती शुरू कराने की मशक्कत कर रहा है।

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जंगल के 28 हजार पेड़ों की गिनती पूरी, गांव के करीब पहुंचते ही रूका काम
जंगल के 28 हजार पेड़ों की गिनती वन विभाग ने छह माह पूर्व ही पूरी कर ली थी। लेकिन जैसे ही गांव के आसपास वाले इलाके में वन विभाग गिनती करने पहुंचा। ग्रामीणों को इसकी खबर लग गई। ग्रामीण पिछले कुछ माह में 6 से 7 बार वन विभाग का काम रोकवा चुके हैं। वन विभाग के मुताबिक प्राथमिक सर्वे में कुल 40 हजार से ज्यादा पेड़ हैं जिनकी गिनती पूरी कर रिपोर्ट वन मंत्रालय भेजी जानी है। जिसमेंं से 12 हजार से अधिक पेड़ों की गिनती अब तक रूकी हुई है।

विरोध करने वालों में महिलाएं ज्यादा
पेड़ के गिनती का विरोध करने वालों में महिलाएं ज्यादा है। कई बार तो महिलाओं ने ही काम बंद करा दिया है। मोरगा की महिलओं का कहना है कि सरकार कुछ भी कहे या फिर अधिकारी। हम जानते हैं जहां भी जंगलों को उजाड़ा गया है वहां की आज क्या स्थिति है।

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सरपंच बोले: ये जंगल की हमारा सबकुछ, गिनती कराई तो कटाई तय
मोरगा के सरंपच जयसिंह पैंकरा कहते हैं ये जंगल की हमारा सबकुछ है। वन विभाग बार-बार गिनती कराने के लिए कह रहा है। हम जानते हैं कि अगर गिनती पूरी करा दी गई तो पेड़ों की कटाई हर हाल में हो जाएगी। फिर पूरा जंगल उजड़ जाएगा। ये सिर्फ जंगल नहीं हमारे सबकुछ है इसे हम बचाने की पूरी कोशिश करेंगे।

ए के चौबे, रेंजर, मोरगा, कटघोरा वनमंडल

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