
Marine fossils
बैकुंठपुर. कोरिया के हसदेव नदी तट पर 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म (Marine fossils) को संरक्षित करने फॉसिल्स पार्क (Fossils park) बनाया गया। इसके बाद से जिम्मेदार इसका रख-रखाव करना भूल गए हैं। करीब एक किलोमीटर एरिया को तार से घेरकर प्रदेश का पहला समुद्री जीवाश्म पार्क बनाया गया है, लेकिन समुचित रखरखाव के अभाव व बेहतर सुविधाएं विकसित नहीं करने से सैलानी नहीं पहुंच रहे हैं।
मनेन्द्रगढ़ वनमंडल ने करीब एक दशक पहले हसदेव नदी तट पर समुद्री जीवों के जीवाश्म मिलने के कुछ निशान व चिह्न को ढूंढा था। मामले में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोबॉटनी लखनऊ से सलाह ली गई थी। इस इंस्टीट्यूट ने कुछ विशेषज्ञ की टीम जांच करने के लिए भेजी थी।
विशेषज्ञ की टीम ने करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्म होने की पुष्टि की और एरिया को जियो हेरिटेज सेंटर (Jio Haritage center) के रूप में विकसित करने की सलाह दी थी। वहीं जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 1982 में नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स में शामिल किया है।
जियोलॉजिकल टाइम स्कैल में 29.8 से 25.5 करोड़ साल पहले के जीवाश्म होने की पुष्टि की गई। मनेंद्रगढ़ के फॉसिल्स को गोंडवाना सुपरगु्रप चट्टान की श्रेणी में रखा गया है। मामले में राज्य सरकार ने समुद्री जीवाश्म पार्क के रूप में विकसित करने के लिए 17.50 लाख बजट, जिला खनिज न्यास संस्थान (डीएमएफ) से 39.440 लाख बजट मिला था।
इससे फॉसिल्स पार्क वाले क्षेत्र को घेर प्रस्तावित पार्क हसदेव व हसिया नदी के संगम पर करीब एक किलोमीटर क्षेत्र में विकसित करने का निर्णय लिया गया था।
मनेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन में समुद्री जीवाश्म की जानकारी वाला बोर्ड लगाया
मनेंद्रगढ़ वनमण्डल के अनुसार करीब एक दशक पहले फॉसिल्स (Fossils) की खोज की खोज की गई थी। लेकिन शोध को लेकर कोई खास पहल नहीं की जा रही है। मनेंद्रगढ़ में आमाखेरवा के पास हसदेव नदी और हसिया नदी के बीच करीब एक किलोमीटर के क्षेत्र में समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म से भरा है।
क्षेत्र में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा और एवीक्युलोपेक्टेन सहित अन्य समुद्री जीवों के जीवाश्म मौजूद हैं। वहीं सोनहत मेंड्रा गांव में हसदेव नदी के किनारे ये जीवाश्म हैं। करीब एक किलोमीटर एरिया में करोड़ों साल पुराने जीवाश्म के निशान पाए गए हैं।
वहीं मनेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन (Railway station) में भी समुद्री जीवाश्म जानकारी के लिए बोर्ड लगाया गया है। वहीं समुद्री जीवाश्म मिलने को लेकर यह मान्यता है कि करोड़ों साल पहले यह हिस्सा समुद्र के नीचे था और भूगर्भ में हलचल के बाद ऊपर आया होगा। इससे आज भी समुद्र में पाए जाने वाले सीप के जीवाश्म और अवशेष कोरिया में मौजूद हैं।
भारत में चार जगह पर हैं फॉसिल्स
-खेमगांव सिक्किम।
-राजहरा झारखण्ड।
-सुबांसरी अरुणाचल प्रदेश।
-दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल।
आने वाले दिनों में बढ़ेंगीं सुविधाएं
फॉसिल्स पार्क उन्नयन, रख-रखाव करने प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है। आने वाले दिनों में यह बेहतर तरीके से विकसित होगी और पार्क में सुविधाएं बढ़ेंगी।
विवेकानंद झा, डीएफओ, वनमण्डल मनेंद्रगढ़
Published on:
16 Dec 2020 01:34 pm
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