
Unique tradition in Bairagi village
बैकुंठपुर/केल्हारी. Unique: छत्तीसगढ़ के कई गांवों में आज भी पुरानी रीति-रिवाज, परंपरा व मान्यताएं विद्यमान हैं। इस पालन आज भी लोग करते आ रहे हैं। कोरिया जिले के कई गांवों में ऐसी ही अनोखी परंपरा (Unique Tradition) का निर्वहन किया जाता है। कुछ गांवों में 7 दिन पहले होली मनाने का रिवाज है तो किसी गांव में होली के तीन दिन बाद जंगली जीव-जंतुओं के बीच अनोखी स्पर्धा कराई जाती है। ग्राम पंचायत ताराबहरा के आश्रित ग्राम बैरागी में होली के तीन दिन बाद अनोखी और रोमांचक खेल स्पर्धा (Unique game) का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गांव की महिलाओं और पुरुषों के बीच विविध व रोमांचक खेल स्पर्धा खेली गई। इसमें जंगली मुर्गा, गिलहरी, नदी से केकड़ा व मछली पकड़ी गई। ऐसी मान्यता है कि यदि पुरुषों द्वारा जंगल में छोड़े गए मुर्गे और गिलहरी (Squirrel) को महिलाएं पकड़ लेती हैं तो वहां वर्षभर अकाल (Famine) नहीं पड़ता है।
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत ताराबहरा का आश्रिम ग्राम बैरागी बसा है। इस गांव में भारतीय कैलेंडर की होली त्योहार के ठीक तीसरे दिन परंपरागत और अनोखी खेल स्पर्धा का आयोजन किया गया। गांव के प्रतिभागी एकजुट होकर खुले मैदान में पहुंचे और जंगली मुर्गा, गिलहरी की रोमांचक दौड़ कराई गई। प्रतिभागी समूह में बंटकर जंगल और नदी की ओर चले गए।
एक समूह पुरुष व बच्चे, दूसरे समूह में महिलाएं व युवतियां शामिल थीं। प्रतियोगिता में पहले दिन पुरुष जंगल में जाकर जंगली मुर्गा, गिलहरी और महिलाएं नदी में जाकर केकड़ा और मछली पकड़ी। स्पर्धा के दूसरे दिन महिला, पुरुष और बच्चों के लिए प्रतियोगिता शुरू हुई।
प्रतियोगिता के पहले चरण में पॉलीथीन की मदद से एक छोटा तालाब बना गया। जिसमें गांव की महिलाएं जो नदी से मछली और केकड़ा पकडक़र लाई थीं, उसे छोड़ दिया गया।
वहीं पुरुषों को निर्धारित समय पर तालाब से मछलियां और केकड़ा पकडऩा था। जिसमें सबसे अधिक केकड़ा और मछली पकडऩे वाले को विजयी घोषित किया गया। इस दौरान प्रतियोगिता के निर्णायक सीटी बजाकर निर्णय दिया।
खुले मैदान में केकड़े ने लगाई दौड़, बना विजेता
ग्रामीणों के बीच रोमांचक केकड़ा दौड़ (Craps run) प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महिलाएं नदी से केकड़ा पकड़ कर लाई थीं, उसे खुले मैदान में छोड़ा गया। इस दौरान सबसे तेज दौडऩे वाले केकड़े को विजेता के खिताब से सम्मानित किया गया।
प्रतियोगिता में ग्रामीण तयशुदा स्थान पर एक बड़ा घेरा बनाया था। इसमें गांव के पुरुष और महिलाएं शामिल हुई। सीटी बजने के पुरुष वर्ग मुर्गा और गिलहरी को एक साथ छोड़ दिया और खरगोश व गिलहरी को पकडऩे के लिए महिलाओं का समूह पीछे जंगल की ओर भागा।
ये है इस गांव की मान्यता
ग्राम बैरागी के ग्रामीणों के अनुसार खेल के पीछे मान्यता है कि होली के तीसरे दिन परंपरागत होली त्योहार मनाने का रिवाज वर्षों पहले शुरू की गई है और बुजुर्गों के बनाए नियम का पालन कर रहे हैं।
खेत में पुरुषों द्वारा छोड़ा गया मुर्गा और गिलहरी को अगर महिलाएं पकड़ लेती हैं तो गांव में वर्षभर अकाल नहीं पड़ता है। वहीं महिलाएं गिलहरी व मुर्गा को नहीं पकडऩे पाने पर अर्थदण्ड (Fine) लगाने का प्रावधान रखा गया है। जुर्माने की मिलने वाले राशि को सामूहिक भोज में खर्च किया जाता है।
Published on:
21 Mar 2022 03:03 pm
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