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ऑफिसरों की इस गलती से 17 करोड़ खर्च के बाद भी 9 साल से काम अधूरा, सरकार को और खर्च करने होंगे 13 करोड़

Negligence: जल संसाधन विभाग (Irrigation department) के अफसरों की उदासीनता का परिणाम अब यह सामने आ रहा है कि 13 करोड़ 26 लाख रुपए और लगाकर काम करना पड़ेगा पूरा, काम शुरु करने से पहले ये मामला सुलझा लेते तो 17 करोड़ में ही पूरा हो जाता निर्माण

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Negligence

Dam construction incomplete

बैकुंठपुर. Negligence: जल संसाधन विभाग द्वारा फॉरेस्ट क्लीयरेंस के बिना ग्राम पंचायत दूबछोला में चिरमिरी जलाशय निर्माण कराने प्रारंभ कराने के बाद रोक लगने से प्रोजेक्ट की लागत लगभग दोगुनी हो जाएगी। जलाशय में अब तक 17 करोड़ खर्च हो चुका है, लेकिन पिछले नौ साल से यह अधूरा पड़ा है।

वहीं दूसरी ओर प्रोजेक्ट को पूरा कराने को लेकर 30 करोड़ 26 लाख 92 हजार की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति के लिए प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार के पास भेजा गया है।


चिरमिरी जलाशय निर्माण कराने प्रशासकीय स्वीकृति दी थी, जिसकी लागत 1377.81 लाख राशि थी। जल संसाधन विभाग ने टेंडर प्रक्रिया कर ठेकेदार के माध्यम से जलाशय का निर्माण प्रारंभ कराया था। इधर जलाशय निर्माण पर 17 करोड़ 13 लाख 54 हजार खर्च हो चुका है। जबकि जलाशय निर्माण कराने 1377.81लाख की स्वीकृति मिली थी।

वहीं दूसरी ओर फॉरेस्ट क्लीयरेंस (Forest Clearance) नहीं लिया गया था। मामले में फॉरेस्ट से क्लीयरेंस नहीं लेने के कारण निर्माण पर रोक लगाई गई है। ऐसे में जल संसाधन ने जलाशय को अधूरा छोड़ दिया है। जल संसाधन के अनुसार फॉरेस्ट में क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया गया है लेकिन अभी तक क्लीयरेंस नहीं मिला है।

फिलहाल जलाशय निर्माण कार्य बंद करना पड़ा है और करीब नौ साल से अधूरा पड़ा हुआ है। निर्माण कार्य बंद होने से जलाशय की लागत बढ़ जाएगी और राज्य सरकार को अधिक राशि खर्च करनी पड़ेगी।

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जलाशय में नाला क्लोजर, शुटफॉल व एक्वाडक्ट, नहर निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। नहर निर्माण का कार्य भी पूरा नहीं हुआ। कई जगहों से मिट्टी बह गई है। नहर के लिए निकली पाइप लाइन के बेस पर भी दरारें आ गई हैं।

IMAGE CREDIT: Negligence

5-6 गांव की 700 हेक्टेयर जमीन की होनी थी सिंचाई
जल संसाधन विभाग के अनुसार दूबछोला में चिरमिरी जलाशय का निर्माण होने से करीब 700 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई करने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें खरीफ फसल के लिए 490 हेक्टेयर और रबी फसल के लिए 210 हेक्टेयर सिंचित भूमि चिह्नित है।

प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद आसपास के किसानों को डबल फसल लेने के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा और रबी सीजन में खेती का रकबा बढ़ जाएगा। जलाशय का काम पूरा होने के बाद ठग्गांव, मझौली, अखराडांड़, दुबछोला, गजमरवापारा, सैंदा, खडग़वां को सिंचाई पानी उपलब्ध कराया जाना था।

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फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने पर क्या होगा
विभागीय उदासीनता के कारण फॉरेस्ट क्लीयरेंस के बिना ही जलाशय निर्माण शुरू कर दिया गया था। मामले में फॉरेस्ट ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। ऐसे में करीब 9 साल से जलाशय अधूरा पड़ा हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि क्लीयरेंस के बिना ही फॉरेस्ट लैण्ड में भारी भरकम राशि खर्च कर दी है।

ऐसी स्थिति में फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने से अभी तक खर्च राशि बेकार हो जाएगी। फॉरेस्ट से क्लीयरेंस नहीं मिलने पर भी सरकार की इतनी बड़ी राशि किस आधार पर खर्च की गई है। वहीं जल संसाधन विभाग ने प्रोजेक्ट को पूरा करने को लेकर 30 करोड़ 26 लाख 92 हजार की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार के पास भेजा है।


फॉरेस्ट से नहीं मिला है क्लीयरेंस
चिरमिरी जलाशय निर्माण के लिए अभी तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिल पाया है। जलाशय निर्माण की राशि बढऩे के कारण पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार के पास भेजा गया है। वह भी लंबित है। मामले में विधायक व विभाग राशि स्वीकृत कराने में प्रयासरत हैं।
एसके दुबे, कार्यपालन अभियंता जल संसाधन बैकुंठपुर